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मुक्त आत्माओं की मोक्षावस्था जिनका मोक्ष खड़े-खड़े कायोत्सर्ग मुद्रा में हुआ है....उनके आत्मप्रदेश खड़े-खड़े ही सदा काल के लिये रहेंगे। जो बैठे-बैठे मोक्ष में गये...उनके आत्मप्रदेश बैठे-बैठे ही रहेंगे।
सीधे लेट कर जिन्होंने अनशन किया है और मोक्ष में चले गये हैं....उनके आत्मप्रदेश वहाँ अनंत काल तक लेटे-लेटे ही रहेंगे।
उसमें भी ऊपर से सभी आत्माएँ समश्रेणि में ही रहती है....नीचे से सभी विषम।
गुब्बारे की कल्पना उदाहरण के तौर पर हाइड्रोजन गैस से भरकर अलग-अलग साइज और आकृति के गुब्बारे (Balloons) बन्द कमरे में उड़ा दिये जाय तो वे सभी छत को छू जायेंगे....नीचे से विषमता साफ नजर आयेगी....कोई गोल....कोई लम्बा....आदि-आदि।
तूंबड़े की कल्पना सरोवर की तह में तुंबड़ा पड़ा हुआ था....कुछ दिनों के बाद अपने आप ही ऊपर आ गया। अनुभवी व्यक्तियों को पूछने से पता चला.....तूंबड़े का स्वभाव तो तैरने का ही है....तो फिर डूबा क्यों? तो कहते हैं कि उस पर मिट्टी की मोटी परत जम गई थी अतः उसमें भारीपन आ गया था...! ज्योंहि मिट्टी दूर हुई, तूंबड़ा अपने आप ऊपर उठ आया....।
ठीक उसी प्रकार.....हमारे जीव रूपी तूंबड़े का स्वभाव तो ऊपर उठने का ही है.....मगर कर्मरूपी मिट्टी से वह संसार-सरोवर
रेकर्म तेरी गति न्यारी...|| /44
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