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________________ उदाहरण के तौर पर सोचिये....! (1) ज्ञान प्राप्ति के लिये एक विद्यार्थी नहीं के बराबर मेहनत करता है, तो भी सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त कर लेता है....जबकि दूसरा विद्यार्थी रात-दिन तन-तोड़ परिश्रम करता है, फिर भी वह परीक्षा में असफल रहता है....! (2) एक आदमी अपनी आँखों से कई दर्शनीय स्थलों के दर्शन करता है....कभी शत्रुजय गिरिराज स्थित परमात्मा आदिनाथ के दर्शन कर अपनी आँख को पवित्र करता है, तो कभी गिरनारजी के बालब्रह्मचारी नेमिनाथ प्रभु के दर्शन कर.....! जबकि दूसरा आदमी अपनी सारी जिन्दगी अंधापे में गुजारता है....वह किसी भी चीज को देख ही नहीं पाता है....! (3) एक आदमी अनेक भौतिक सुख सामग्रियों को प्राप्त कर उनका परिभोग कर आनन्द का अनुभव करता है......... जबकि दूसरा एक आदमी रोग का शिकार होकर जीवन पर्यन्त शय्या पर पड़ा-पड़ा असह्य वेदना से छटपटाता है.......दु:ख भुगतता है। (4) एक आदमी स्त्री-पुरुष परिवार के साथ अपना जीवन हँसी-खुशी में काटता हैं, तो कई आदमी जंगल-जेलों में अपना जीवन बिताते हैं.....मारे-मारे भटकते फिरते हैं....! (5) एक आदमी रातों-रात सुपरस्टार बन जाता है....दूसरा आदमी जिन्दगी भर कुछ भी बन नहीं पाता....एक लोकप्रिय होता है, तो दूसरा अत्यन्त अप्रिय.....! रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /14 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004216
Book TitleRe Karm Teri Gati Nyari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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