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________________ (6) एक का स्वर कोयल की तरह मीठा मधुर होता है, तो दूसरे का गधे से भी गया बीता हुआ, भैंसासुर होता है.....! (7) एक आदमी दुर्गन्धमय वस्तुओं से कोसों दूर रहता है, जबकि दूसरा उसी में जीवन बिताता है ....! (8) एक आदमी खरबपति से लखपति और करोड़पति से रोड़पति हो जाता है, तो दूसरा लखपति से खरबपति, रोड़पति से करोड़पति बन जाता है.. . एक व्यक्ति व्यापार में लाखों रुपये बटोर लेता है, तो दूसरा जो है उसे भी खो देता है ......... एक व्यक्ति फोन उठाता है और उसे लाखों रुपयों की आय हो जाती है, तो दूसरे व्यक्ति को दिन-रात जी-तोड़ प्रयास करने पर भी पेट का खड्डा भर सके, उतना भी मयस्सर नहीं होता......! उपर्युक्त बातों में विषमताएँ बताई गई हैं। सभी का कारण क्या ? यह हमें सोचना जरूरी है.....! प्रथम विचारधारा कितने ही लोगों का मानना है कि विषमताएँ अपने आप उत्पन्न होती है और नष्ट हो जाती है.... कोई कारण नहीं है उसके पीछे... जैसे कि पानी की बुदबुदे.....! परन्तु यह मान्यता तर्क की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है चूँकि यदि बिना किसी कारण के ही चीज उत्पन्न हो जाती है, तो पानी में से आग क्यों नहीं उत्पन्न होती ? पानी के बुदबुदों में भी हवा वगैरह को कारण माना ही जा सकता है.....! Jain Education International रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 15 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004216
Book TitleRe Karm Teri Gati Nyari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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