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11. आनुपूर्वी नामकर्म जिस कर्म के उदय से जीव को मृत्यु पाने के बाद अन्य गति-स्थान पर जाने में आकाशप्रदेशानुसार वक्र गमन होता है। इस कर्म को विभिन्न उपमाएँ दी जा सकती है। बैल की रस्सी खींचने पर बैल अपनी राह बदल लेता है। आज के जमाने में टुव्हीलरों और थ्री व्हीलरों में हेन्डल का भी यही काम है। इसके चार भेद हैं।
1. नरकानुपूर्वी नामकर्म- जिसके उदय से नरक में जाते वक्त आकाशप्रदेशानुसार वक्रगमन हो।
2. तिर्यंचानुपूर्वी नामकर्म- जिसके उदय से तिर्यंचयोनि में जाते वक्त आकाशप्रदेशानुसार वक्रगमन हो।
3. मनुष्यानुपूर्वी नामकर्म- जिसके उदय से मनुष्ययोनि में जाते वक्त आकाशप्रदेशानुसार वक्रगमन हो। ___4. देवानुपूर्वी नामकर्म- जिसके उदय से देवयोनि में जाते वक्त आकाशप्रदेशानुसार वक्रगमन हो।
___12. विहायोगति नामकर्म
जिस कर्म के उदय से जीव को शुभ या अशुभ गति (चाल) मिलें, उसके दो भेद हैं।
1. शुभविहायोगति नामकर्म- जिसके उदय से हाथी-हंस आदि जैसी सुंदर चाल मिलें।
2. अशुभविहायोगतिनामकर्म- जिसके उदय से ऊँट आदि जैसी खराब चाल मिलें।
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /139
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