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________________ 10. स्पर्श नामकर्म जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में शीत आदि स्पर्श होते हैं। उसके आठ भेद हैं। 1. शीतस्पर्श नामकर्म - जिस कर्म के उदय से हिम जैसा ठंडा स्पर्श हो । 2. उष्णस्पर्श नामकर्म - जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में आग जैसा गर्म स्पर्श हो । 3. स्निग्धस्पर्श नामकर्म - जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में तेल जैसी चिकनाहट हो । 4. रुक्षस्पर्श नामकर्म जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में राख -सा स्पर्श हो । - 5. लघुस्पर्श नामकर्म - जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में रुई जैसा हल्का स्पर्श हो । 6. गुरु स्पर्श नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में लोहे जैसा भारी स्पर्श हो। 7. मृदुस्पर्श नामकर्म - जिस उदय से शरीर में मक्खनसा कोमल स्पर्श हो । 8. कर्कशस्पर्श नामकर्म - जिसके उदय से शरीर में करवतसा स्पर्श हो । विशेष : इन सभी उपरोक्त भेदों में काला और आसमानी रंग, दुर्गन्ध, तीखा और कडुआ रस, गुरु- कर्कश रूक्ष और शीत स्पर्श नौ अशुभ है, शेष ग्यारह शुभ है। रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 138 Jain Education International For Personal & Private Use Only . www.jainelibrary.org
SR No.004216
Book TitleRe Karm Teri Gati Nyari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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