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________________ आगम (४४) “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ................ मूलं [१४]/गाथा ||८१...|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४४], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: श्रीमलय गिरीया प्रत नन्दीवृत्तिः सूत्रांक ॥२३३॥ [५४] निजुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्टयाए नवमे अंगे अनुत्तरोप पातिका. एगे सुअक्खंधे तिन्नि वग्गा तिन्नि उद्देसणकाला तिन्नि समुद्देसणकाला संखेजाई पयसहस्साई का प्रश्नव्यापयग्गेणं संखेजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयक- र करणा. डनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावा आपविजंति पन्नविनंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसि सु.५४-५५ जंति उवदंसिर्जति, से एवं आया एवं नाया एवं विनाया एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, से तं अणुत्तरोववाइअदसाओ ९ ॥ (सू. ५४) 'से किं तमित्यादि, अथ कास्ता अनुत्तरोपपातिकदशाः?, न विद्यते उत्तरः-प्रधानो येभ्यस्तेऽनुत्तराः-सर्वोत्तमा इत्यर्थः, उपपातेन निर्वृत्ता औपपातिका अनुत्तराश्च ते औपपातिकाच अनुत्तरौपपातिकाः, विजयाद्यनुत्तरविमानवा|सिन इत्यर्थः, तद्वक्तव्यताप्रतिबद्धा दशा अनुत्तरोपपातिकदशाः, तथा चाह सूरिः-'अनुत्तरोववाइयदसा सुण'मि ॥२३शा त्यादि पाठसिद्धं यावनिगमनं, नवरमध्ययनसमूहो वर्गः, वर्ग २ च दश दशाध्ययनानि, वर्गश्च युगपदेवोद्दिश्यते इति त्रय एवं उद्देशनकालात्रय एव समुद्देशनकालाः, सङ्ख्येयानि च पदसहस्राणि-पदसहस्राष्टाधिकषट्चत्वारिंशलक्षप्रमाणानि बेदितन्यानि। SRCESSARDCCE SASSARAM दीप अनुक्रम [१४७] ~469~
SR No.004146
Book TitleAagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages514
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size114 MB
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