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________________ आगम (४४) प्रत सूत्रांक [५०-५१] दीप अनुक्रम [१४३ -१४४] “नन्दी”- चूलिकासूत्र -१ ( मूलं + वृत्तिः ) मूलं [५०-५१ ] / गाथा || ८१... || मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....आगमसूत्र- [ ४४], चूलिका सूत्र - [१] “नन्दीसूत्र” मूलं एवं मलयगिरिसूरि - रचिता वृत्तिः संग्रहणीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्टयाए पंचमे अंगे एगे सुअक्खंधे एगे साइरेगे अज्झयणसए दस उद्देसगसहस्साई दस समुद्देसग सहस्साइं छत्तीसं वागरणसहस्साइं दो लक्खा अट्ठासीइं पयसहस्साइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अ ता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जति पन्नविज्जंति परुविज्जति दंसिजंति निदंसिज्जति उवदंसिज्जंति, से एवं आया एवं नाया एवं विष्णाया एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, से तं विवाहे ५ । (सू. ५०) । से किं तं नायाधम्मकहाओ ?, नायाधम्मक - हासु णं नायाणं नगराई उज्जाणाई चेइआई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा भोगपरिचाया पव्वज्जाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाईओ पुणवोहिलाभा अंतकिरिआओ अ आघविज्जति, दस धम्मकहाणं वगा, तत्थ णं एगमेगा धम्मकहाए पंचपंचअक्खाइआसयाई एगमेगाए अक्खाइआए पं For Parts Only ~462~ व्याख्याधिकारः सू. ५० ज्ञाताधिकारः सू. ५१ १०
SR No.004146
Book TitleAagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages514
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size114 MB
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