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आगम
“आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) अध्ययनं [-], मूलं [- /गाथा-], नियुक्ति: [२८९], भाष्यं [३०...],
(४०)
हारिभद्रीयवृत्तिः विभागः१
प्रत
सुत्रांक
आवश्यक-पण्णरस सपसहस्सा कुमारवासो अ तीसई रज्जे । पणरस सयसहस्सा परिआओ होइ विमलस्स ॥ २८॥
अहहमलक्खाई वासाणमणतई कुमारत्ते । तावइ परिआओ रज्जमी हुंति पण्णरस ।। २९० ॥ ॥१४॥
धम्मस्स कुमारसं वासाणड्डाइआई लक्खाई । तावइअं परिआओ रज्जे पुण हुंति पंचेव ॥ २९१ ॥ संतिस्स कुमार मंडलियचक्किपरिआ चउमुंपि । पत्तेअं पत्तेअं वाससहस्साई पणवीसं ॥ २९२ ॥ एमेव य कुंथुस्सवि चउमुवि ठाणेसु हुंति पत्तेअं। तेवीससहस्साई वरिसाणहमसया य ॥२९३ ॥ एमेव अरजिणिंदस्स चउसुवि ठाणेसु हुंति पत्तेअं। इगवीस सहस्साई वासार्ण हुंति णायव्या ॥२९४ ॥ । मल्लिस्सवि वाससयं गिहवासे सेस तु परिआओ । चउपपण सहस्साई नव चेष सयाइ पुण्णाई॥ २९५॥ अट्ठमा सहस्सा कुमारवासो उ सुब्वयजिणस्स । तावइ परिआओ पण्णरससहस्स रजंमि ॥ २९६॥ नमिणो कुमारवासो वाससहस्साइ दुपिण अद्धं च । तावइ परिआओ पंच सहस्साई रज्जंमि ॥२९७ ॥ तिण्णेव य पाससया कुमारवासो अरिहनेमिस्स । सत्त य वाससयाई सामण्णे होइ परिआओ॥ २९८॥ |पासस्स कुमारत्तं तीसं परिआऔं सत्तरी होइ । तीसा य वडमाणे यायालीसा उ परिआओ ॥ २९९ ॥ | आद्यानां सुविधिपर्यन्तानामनुपरिपाव्येयं श्रामण्यपर्यायगाथा-तद्यथाउसभस्स पुब्बलक्खं पुष्वंगूणमजिअस्स तं चेव । चउरंगूणं लक्खं पुणो पुणो जाव सुविहित्ति ॥३०॥ सेसाणं परिआओ कुमारवासेण सहिअओ भणिओ। पत्तेअंपि अ पुव्वं सीसाणमणुग्गहढाए ॥३०१॥
CCCXCXCXCXCXCXC
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दीप
अनुक्रम
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| ॥१४॥
Janatarary.om
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक" मूलं एवं हरिभद्रसूरि-रचित वृत्ति
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