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________________ आगम (१५) प्रत सूत्रांक [ ३०१] दीप अनुक्रम [५४८] पदं [२६], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. isesesesenteen “प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः ) दारं [-] मूलं [ ३०१] उद्देशक: [-] .. आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः can Internationa अथ षडूविंशतितमं कर्मवेदबन्धाख्यं पदं ॥ २६ ॥ - 20 अधुना पविंशतितममारभ्ये, तत्र चेदमादिसूत्रम् - कति णं. भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, गो० ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं०- णाणा० जाव अंतराइयं, एवं नेरयाणं जाव वैमाणियाणं, जीवे णं भंते ! गाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ?, गो० ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविबंधए वा एगविहबंधए वा, नेरइए णं भंते! णाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्म० बंधति ?, गो० ! सत्तविहबंधए वा अट्ठवि०, एवं जाव वैमाणिते, एवं मणूसे जहा जीवे, जीवा णं भंते ! णाणावरणिॐ कम्मं वेदेमाणा कति० । कम्मपगडीतो बंधंति !, गो० ! सवेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविह० १ अहवा सतविबंधगाय अट्टविहबंधगा य छविबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविबंधगाय ३ अह वा सत्तविहबंधना य अट्ठचिह्नबंधगा य एगविहबंधए य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य ५ अहवा सत्तविधगाय अट्ठवि० छविबंधए य एगविहबंधए य ६ अहवा सत्तविधगा य अट्ठवि० छबिहबंधए य एगविधगाय ७ अहवा सत्तविधगा य अट्ठवि० छविह० एगविहबंधए य ८, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठ० For Parts Only अथ पद (२६) "कर्मवेदबन्ध" आरब्धम् ~993~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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