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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [२३], --------------- उद्देशक: [२], -------------- दारं [-], -------------- मूलं [२९६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: पनामाकनवरत २३कमंत्र प्रज्ञापनाया: मलयवृत्ती. प्रत सूत्रांक [२९६] पदे द्वी. न्द्रियादीनां कर्म ॥४८७॥ स्थितिःसू. वमसहस्सस्स दिवसत्तभागं पलितोवमस्सासंखेजइभागेण ऊणं उको तं चेच पडिपुण्णं बंधंति, एवं देवगतिनामाए, नवरं ते सागरोवमसहस्सस्स एग सत्तभागं पलिओवमस्सासंखे० ऊर्ग उ० तं चेव पडिपुण्णं, वेउवियसरीरनामाए पुच्छा, गो०। ज० सागरोजमसहस्सस्स दो सत्तभागे पलितोवमस्सासंखेजतिभागेण ऊणे उको दो पडिपुण्णे बंधति, सम्मत्तसम्मामिच्छत्तआहारगसरीरनामाते तित्थगरनामाए ण किंचि बंधति, अचसिर्दु जहा बेइंदियाण, णवरं जस्स जत्तिया भागा तस्स सा सागरोवमसहस्सेण सह भाणितबा, सन्वेसि आणुपुबीए जाव अंतराइयस्स । सण्णी णं भंते ! जीवा पंचिंदिया णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किंबंधंति , गो! ज. अंतोमु० उ० तीसं सा० कोडाकोडीओ तिणि वाससहस्साई अवाहा, सण्णी णं भंते ! पंचिंदिया णिहापंचगस्स किं बंधति , गो० जह• अंतो० सागरोवमकोटाकोडीओ उ० तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ तिणि य वाससहस्साई अवाहा, दंसणचउक्करस जहा गाणावरणिज्जरस, सायावेदणिजस्स जहा ओहिया ठिती भणिता तहेव माणितवा, ईरियावहियवंधयं पडुच्च संपराइयबंधयं च, असायावेयणिजस्स जहा णिदापंचगस्स, सम्मत्तवेदणिजस्स सम्मामिच्छत्तवेदणिजस्स जा ओहिया ठिती भणिता तं बंधति, मिच्छावेदणिजस्स ज० अंतोसागरोवमकोडाकोटीओ उको सत्चरिं सागरोबमकोडाकोडीओ, सत्तरिय वाससहस्साई अवाहा, कसायपारसगस्स जह एवं चेव उको० चचालीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, चत्तालीस य वाससयाति अबाहा, कोहमाणमायालोभसंजलणाए यदो मासा मासो अद्धमासो अंतोमुहतो, एवं जहन्नगं, उक्कोसग पुण जहा कसायबारसगस्स, चउण्हवि आउयाणं जा ओहिया ठिती भणिता तं बंधति, आहारमसरीरस्स तित्थगरनामाए य जहण्योणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीतो उ० अंतोसागरोक्मकोडा Taa02020-2020020201203 २९५ दीप अनुक्रम [५४३] ॥४८७॥ ~978~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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