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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [२३], -------------- उद्देशक: [२], -------------- दारं [-], --------------- मूलं [२९३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
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प्रत सूत्रांक [२९३]
नोकसायवेद०, कसायवेदणिजे णं भंते ! कतिविधे पं०१, गो. सोलस विधे पं०, तं-अणताणुबंधी कोहे अर्णताणुबंधी माणे अ० माया अ० लोमे, अपञ्चक्खाणे कोहे एवं माणे माया लोभे, पञ्चक्खाणावरणे कोहे एवं माणे माया लोभे, संजलणकोहे एवं माणे माया लोमे, नोकसायवेयणिजे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पं० १, गो० ! णवविहे पं०, ०इत्थीवेयवेयणिजे पुरिसवे० नपुंसगवे हासे रती अरती भए सोगे दुगुंछा, आउए णं भंते ! कम्मे कतिविधे पं०१, गो०! चउविधे पं०,०- नेरइयाउए जाव देवाउए, णामे गं भंते ! कम्मे कतिविधे पं०१, गो० ! बायालीसतिविहे पण्णचे, तं०-गतिनामे १ जातिनामे २ सरीरनामे ३ सरीरोवंगनामे ४ सरीरबंधणनामे ५ सरीरसंघयणनामे ६ संघायणनामे ७ संठाणनामे ८ वणणामे ९ गंधणामे १० रसणामे ११ फासणामे १२ अगुरुलघुनामे १३ उवधायणामे १४ परामायणामे १५ आणुपुषिणामे १६ उस्सासणामे १७ आयवणामे १८ उजओयणामे १९ विहायगतिणामे २० तसनामे २१ थावरणामे २२ सुहुमनामे २३ बादरणामे २४ पज्जतणामे २५ अपजसणामे २६ साहारणसरीरणामे २७ पत्तेयसरीरणामे २८ थिरणामे २९ अथिरणामे ३० सुमगामे ३१ असुभणामे ३२ सुभगगामे ३३ दुमगणामे ३४ मूसरनामे ३५ दूसरनामे ३६ आदेजनामे ३७ अणादेजनामे ३८ जसोकिचिगामे ३९ अजसो किरिणामे ४० जिम्माणणा० ४१ तित्थगरणा० ४२ । गतिनामे णं मंते ! कम्मे कतिविहे पं० १, गो! चउबिहे पं०, ०-निरय तिरिय० मणु० देवमतिणामे, जातिगामे णं भंते ! कम्मे पुच्छा, गो! पंच०५० त० एगिदियजातिणामे जाव पंचिंदियजातिणा०, सरीरनामे णं भंते! कम्मे कतिविधे पं०१, गोरीपंच००,०-ओरालियसरीरनामे जाव कम्मगसरीरणामे, सरीरो
दीप
अनुक्रम [५४०]
2000
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