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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------- उद्देशक: [-1, ------------ दारं [-1, ---------- मूलं [२४] + गाथा: (४३-७९) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[२४]
गाथा:
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जस्स मूलस्स भग्गस्स, हीरो भंगो(गे) पदीसए । परित्तजीवे उ से मूले, जे यावन्ने तहाविहा॥६२।। जस्स कंदस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उ से कंदे, जे यावन्ने तहाविहा ।।६३।। जस्स खंधस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उसे खंधे, जे यावन्ने तहाविहा॥६४॥ जीसे तयाए भग्गाए, हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवा तया साउ,जे यावन्ने तहाविहा ॥६५॥ जस्स सालस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए । परिचजीवे उ से साले, जे यावन्ने तहाविहा ॥६६॥ जस्स पवालस्स भग्गस्स, हीरोभंगो पदीसए। परित्तजीवे पवाले उ, जे यावने तहाविहा ।।६७।। जस्स पत्तस्स भग्गस्स, हीरो मंगो पदीसए । परित्तजीवे उ से पत्ते, जे यावन्ने तहाविहा ॥६८।। जस्स पुष्फस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उसे पुफे, जे यावन्ने तहाविहा ॥६९॥ जस्स फलस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे फले से उ, जे यावन्ने तहाविहा ||७०।। जस्स बीयस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उसे बीए, जे यावन्ने तहाविहा ।।७१।। जस्स मूलस्स कट्ठाओ, छल्ली बहुलतरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली, जे यावने, तहाविहा ।।७२।। जस्स कंदस्स कहाओ, छल्ली चहलतरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ने तहाविहा ।।७३।। जस्स खंधस्स कहाओ, छल्ली बहलतरी भवे । अणतजीवा उ सा छाली, जे यावन्ना तहाविहा ||७| जीसे सालाए कहाओ, छल्ली बहलतरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली. जे यावना वहाबिहा ||७५।। जस्स मूलस्स कहाओ, छल्ली तणुययरी भवे । परित्तजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ना तहाविहा ।।७६।। जस्स कंदस्स कहाओ, छल्ली वणुययरी भवे। परिचजीवा उ सा छल्ली, जे यावना तहाविहा ।।७७॥ जस्स खंधस्स कहाओ, छल्ली
दीप अनुक्रम
[८२
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