SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------- उद्देशक: [-1, ------------ दारं [-1, ---------- मूलं [२४] + गाथा: (४३-७९) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत प्रज्ञापना सूत्रांक १प्रज्ञापनापदेसाधारणवन. (सू.२४) [२४] यवृत्ती. गाथा: विराली तहेव किट्टीया । हालिद्दा सिंगबेरे य आतूलुगा भूलए इय ॥४४॥ कंबूयं कन्नुक्कड सुमत्तओ क्लइ तहेव महुसिंगी। नीरुह सप्पसुबंधा छिबरुहा चेव बीयरुहा ॥४५॥ पाढामियबालुंकी महुररसा चेव रायवत्ती य । पउमा माढरि दंतीति चंडी किडीति यावरा॥४६॥ मासपण्णि मुग्गपण्णी जीवियरसहे य रेणुया चेव । काओली खीरकाओली वहा भंगी नहीं इस ॥४७॥ किमिरासि भद मुच्छा जंगलई पेलुगा इय । किण्ह पउले य हढे हरतणुया चेव लोयाणी ॥४८॥ कण्हे कंदे बजे सूरणकंदे तहेच खलूरे । एए अर्णतजीचा जे यावने तहाविहा ॥४९॥ तणमूल कंदमूले, वसीमलेत्ति आवरे । संखिजमसंखिञ्जा, बोद्धवाणंतजीवा य ॥ ५० ॥ सिंघाडगस्स गुच्छो अणेगजीवो उ होइ नायब्बो । पत्ता पत्त्यजीया दोनिय जीवा फले भणिया ॥५१॥जस्स मूलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ । अर्णतजीवे उ से मूले, जे यावन्ने तहाविहा॥५२॥ जस्स कंदस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ । अणंतजीवे उ से कंदे, जे यावन्ने वहाविहा ॥५३॥ जस्स खंधस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसह । अणंतजीवे उ से खंधे, जे यावन्ने तहाविहा ॥५४॥ जीसे तयाए भग्गाए, समो मंगो पदीसए । अणंतजीवा तया सा उ, जे यावने तहाविहा ।।५५।। जस्स सालस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए । अणतजीवे य से साले, जे यावने तहाविहा ।।५६।। जस्स पवालस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए । अणंतजीवे पवाले से, जे यावन्ने तहाविहा ।।५७।। जस्स पत्तस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए । अर्णतजीवे उ से पत्ते, जे यावन्ने तहाविहा ॥५८॥ जस्स पुफस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए । अर्णतजीवे उ से पुफे, जे यावने तहाविहा ।। ५९ ॥ जस्स फलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए । अर्णतजीवे फले से उ, जे यावन्ने तहाविहा ।। ६०॥ जस्स बीयस्स भग्गस्स, सभी भंगो पदीसए । अणंतजीवे उ से बीए, जे यावने वहाविहा ।। ६१।। दीप अनुक्रम एeeeeeese [८२ ॥३४॥ SAREnatummitimtana Munmurary.au ~ 72 ~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy