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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------ उद्देशक: [-1, ------------ दारं -1, ------------ मूलं [...२३] + गाथा: (१८-४२) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२३] गाथा: Recene य तह अकबोंदी या॥३०॥जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं वल्लीओ।।से किं तं पश्चगा, पञ्चगा अणेगविहा पन्नता, तं०-इक्खू य इक्खुवाडी धीरुणी तह एकडे य मासे य। सुंठे सरेयवेत्ते तिमिरे सतपोरग णले य॥३शावंसे वेच्छू कणए कंकावंसे य चावबसे य। उदए कुडए विसए कंडा वेल्ले य कल्लाणे॥३२॥ जे यावना तहप्पगारा, से तं पञ्चगा ।। से किं तं तणा?, तणा अणेगविहा पन्नत्ता, तं-संडिय मंतिय होतिय दम्भकुसे पच्चए य पोडइला । अज्जुण असाढएरोहियंसे सुयवेयखीरभुसे॥३३शाएरंडे कुरुविंदे करजर सुंठे तहा विभंगू य । महुरतण छुरय सिप्पिय चोद्धचे संकलितणे य ॥३४॥ जे यावचे तहप्पगारा, से तं तणा ।। से कि तं वलया, वलया अणेगविहा पन्नत्ता,ता-ताल तमाले तकलि तोयली साली व सारकत्ताणे । सरले जावति केतह कदली तह धम्मरुक्खे य ॥३५।। मुयरुक्स हिंगुरुक्खे लवंगुरुक्खे य होह बोद्धये । पूयफली खजुरी चोद्धव्वा णालिएरी य॥३६॥जे यावचा तहप्पगारा, से तं बलया।से कि तं हरिया, हरिया अणेगविहा पन्नत्ता, तं०-अजोरुह वोडाणे हरितग तह तंदुलेजगतणे य । वत्थल पोरग मजारयाइ पिल्ली य पालक्का ॥३७॥ दगपिप्पली य दब्बी सोचिय साए तहेव मंडुकी । मूलग सरिसव अंबिल साएय जियंतए चेव ॥३८॥ तुलस कण्ह उराले फणिजए अजए य भूयणए । वारगदमणग मखरुयग सतपुफीदीवरे य तहा ॥३९|| जे यावना तहप्पगारा, सेनं हरिया।। से किं तं ओसहिओ, ओसहिओ अणेगविहाओ पन्नताओ, तं०साली वीही गोहुम जब जवजवा कलममूरतिलमुग्गमासणि फावकुलत्थआलिसंदसतीणपलिमंधा अयसीकुसुंभकोद्दव कंगूरालगमासकोदंसा सणसरिसवमूलिगवीया, जे यावन्ना तहप्पगारा, से चं ओसहीओ से कितं जलरुहा ?, जलरुहा अणेगविहा पन्नचा, त-उदए अवए पणए सेवाले कलंचुया हढे कसेरुया कच्छभाणी उप्पले पउमे कुमुदे णलिणे सुभए सुगंधिए दीप अनुक्रम [४६-८१] esed ~69~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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