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आगम
(१५)
प्रत
सूत्रांक
[२३]
+
गाथा:
दीप
अनुक्रम [४६-८१]
“प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः)
दारं [-]
पदं [१],
उद्देशक: [-] मूलं [... २३] + गाथा: ( १८-४२ ) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] “प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः
प्रज्ञापना
याः मल
य० वृत्ती.
॥ ३२ ॥
Jaraton
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से किं गुच्छ, गुच्छा अणेगविहा पन्नत्ता, तं वागणिसथुण्डई य तह कत्थुरी य जीमणा । रूबी आढइ गीली तुलसी तह माउलिंगीय || १८|| कच्छुभरि पिप्पलिया अतसी बिल्ली य काइमाईया । बुधू पडोलकंदे विउब्वा वत्थलंदेरे ॥ १९ ॥ पत्तर सीयर हवति तहा जबसए य बोद्धवे । णिग्गुमिअंकतवर अत्थई चैव तलउदाडा ||२०|| सणपाणका समुहग अघाडग साम सिंदुवारे य । करमद्दअद्दह्नसग करीर एरावणमहित्थे ॥२१॥ जाउलगमीलपरिली गयमारिणि कुब्वकारिया भंडा । जीवइ केयह तह गंज पाडलादासिअंकोले ||२२|| जे यावचा तहप्पगारा, सेतं गुच्छा । से किं तं गुम्मा १, गुम्मा अणेगविहा पत्ता, तं० सेणयए णोमालिय कोरंटय बंधुजीवगमणोजे । पिइयं पाणं कणयर कुजय तह सिंदुवारे य ||२३|| जाई मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती । वत्थुल कत्थुल सेवाल गंठी मगदंतिया चेव ||२४|| चंपगजीइ णीइया कुंदो (कन्दो) तहा महाजाई । एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयव्वा, से तं गुम्मा ॥ से किं तं लगाओ ?, लयाओ अणेगविहाओ पन्नताओ, तं० – पउमलया गागलया असोग चंगलया व चूतलता । वणलय वासंतिलया अइमुत्तय कुंदसामलया ।। २५ ।। जे यावने तहप्पगारा, से तं लगाओ ।। से किं तं बल्लीओ ?, बल्लीओ अणेगविहाओ पन्नत्ताओ, ० - सफली कालिंगी तुंबी तउसी य एलवालुंकी। घोसाडह पंडोला पंचंगुलि आयणीली या ॥ २६ ॥ कंगूया कंडा ककोडई कारियलई सुभगा । कुयवाय बागली पाव बल्ली तह देवदाली य ॥ २७ ॥ अष्फेया अहमुत्तगणागलया कण्हसुरवल्ली य | संघट्टसुमणसावि व जासुवण कुविंदवल्ली य ॥ २८॥ मुद्दिय अंबावली किण्हछीरालि जयंति गोवाली । पाणी मासावली जीवल्ली य विच्छाणी ॥ २९ ॥ ससिवी दुगोचफुसिया गिरिकण्ण मालुया य अंजणई । दहिफोछ कागलि मोगली
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१ प्रज्ञाप
नापदे वादरपुत्ये
कवन.
(सू. २३)
॥ ३२ ॥