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आगम
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१५], -------------- उद्देशक: [१], -------------- दारं [-], -------------- मूलं [१९२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रज्ञापनाया: मलयवृत्ती.
| १५इन्द्रियपदे उद्देशः१
प्रत सूत्रांक [१९२]
॥२९५॥
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दीप अनुक्रम [४२२]
संखेजगुणे पदेसट्टयाते सबत्थोवे चक्खिदिए पदेसट्टयाए सोतिदिए पएसट्टयाए संखेजगुणे पाणिदिए पएसहयाए संखिजगुणे जिभिदिए पएसट्टयाए असंखेजगुणे फासिदिए पएसट्टयाए संखेजगुणे ओगाहणपदेसट्टयाए सवत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्टयाए सोतिदिए ओगाहणद्वयाए असंखेजगुणे घाणिदिए ओगाहणट्ठयाए संखिजगुणे जिभिदिए ओगाहण
याए असंखेजगुणे फासिदिए ओगाहणट्टयाए संखिजगुणे फार्सिदियस्स ओमाहणट्टयाहिंतो चक्खिदिए पएसट्टयाए अणंतगुणे सोत दिए पएसट्टयाए संखेजगुणे पाणिदिए पएसट्टयाए संखिजगुणे जिभिदिए पएसट्टयाए असंखेजगुणे फासिंदिए पदेसद्वयाते संखेजगुणे, सोतिदियस्सणं भंते ! केवइया कक्खडगुरुयगुणा पं०१, गो! अणंता कक्खडगुरुयगुणा पं०, एवं जाव फासिंदियस्स, सोर्ति दियस्स णं भंते ! केवइया मउयलहुयगुणा पं०१, गो01, अणंता मउयलहुयगुणा पं०, एवं जाव फासिं दियस्स । एतेसिणं भंते! सोइंदियचक्खिदियघाणिदियजिम्भिदियफासिंदियाणं कक्खडगुरुयगुणाणं मउयलहुपगुणाण य कयरेशहितो अप्पा वा ४१, गो०! सबत्थोवा चक्खिदियस्स कक्खडगरुपगुणा सोतिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अर्णतगुणा पाणिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा जिम्मिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अर्णतगुणा फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अर्णतगुणा, मउयलहुयगुणाणं सवत्थोवा फार्सिदियस्स मउयलहुयगुणा जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अनंतगुणा पाणिदियस्स मउयलहुयगुणा अर्णतगुणा सोतिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा चक्खिदियस्स मउयलहुयगुणा अर्णतगुणा, कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाण य सबस्थोवा चक्खिदियस्स कक्खडगुरुयगुणा सोर्तिदियरस कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा पाणिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अर्णतगुणा जिभिदियस्स कक्खडगुरुयगुणा अणंत
N२९५॥
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