________________
आगम (१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [११], ------------- उद्देशकः [-], ------------ दारं [-], ------------- मूलं [१६५] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
S
प्रत सूत्रांक
[१६५]
गाथा:
कतिविहा पं०, गो०! दसपिहा, पं०,०-जणवक्सचा १ सम्मयसमा २ ठवणसचा ३ नामसच्चा ४ रूवसचा ५ पडुच्चसच्चा ६ वबहारसचा ७ भावसाचा जोमसचा ९ ओवम्मसचा १०, जनक्य १ संमत २ ठक्या ३नामे ४ सये ५पापसोय। ववहार ७ भाव ८ जोगे ९ दसमे ओचम्मसच्चे व १०॥१॥मोसाणं भंते भासा पजत्तिया कतिषिहा पं०१, गो! दसविहा पं०,०-कोहणिस्सिया १मापनिस्सिया २ मायानिस्सिया ३ लोदनिस्सिया ४ पेज्जणिस्सिया ५ दोसनिस्सिया ६हासणिस्सिया ७ भयणिस्सिया ८ अक्खाइयाणिस्सिया ९ उवघाइयणिस्सिया १०–'कोहे माणे माया लोभे पिज्जे तहेव दोसे य । हास भए अक्खाइय उवघाइयणिस्सिया दसमा ॥१॥ अपञ्जत्तिया णे भंते ! कइविहा भासा पं०१, मो०! दुविहा पं०, तं०-सच्चामोसा असचामोसा य, सच्चामोसा णं भंते ! भासा अपजतिया कतिविहा पं०१, गो० दसविहा पं० २०, उप्पण्णमिस्सिया १ विगतमिस्सिया २ उप्पण्ण विगतमिस्सिया ३ जीवमिस्सिया ४ अजीवमिस्सिया ५ जीवाजीवमिस्सिया ६ अर्णतमिस्सिया ७ परिचमिस्सिया ८ अद्धामिस्सिया ९ अद्धद्वामिस्सिया १० । असञ्चामोसा णं भंते ! भासा अपजत्तिया कइविहा पं०, गो० ! दुवालसविहा, पं०, त०-आमंतणि १ आणमणी २ जायणि ३ तह पुच्छणी य४ पण्णवणी ५। पञ्चक्खाणी ६ भासा भासा इच्छाणुलोमा, ७ य ॥१॥ अणभिग्गहिया भासा ८ भासा य अभिग्गहीम बोद्धवा ९ । संसयकरणी भासा १० बोगड ११ अयोगडा चेव १२ ॥२॥ (सूत्र १६५) 'भासा णं भंते ! किमाइया' इत्यादि, भाषा अवबोधवीजभूता, णमिति वाक्यालङ्कारे, किमादिका-उपादा
दीप अनुक्रम [३७९-३८८]
oces
भाषाया: दशविध-भेदा:
~ 515~