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आगम
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१०], ------------- उद्देशक: [-1, ------------ दारं -], ----------- मूलं [१५७-१५८] + गाथा:(१-५) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
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प्रत सूत्रांक [१५७-१५८]
गाथा:
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सिय चरिमे १ णो अचरिमे २ सिय अवत्तबए ३ णो चरिमाई ४ णो अचरिमाई ५ णो अवत्तव्बयाई ६ सिय चरमे य अचरमे य ७ सिय चरमे य अचरमाइं च ८ सिय चरमाई च अचरमे य ९ सिय चरमाइं च अचरमाई च १०सिय चरमे य अवत्तवए य ११ सिय चरमे य अवत्तवयाई च १२ सिय चरमाई च अवत्तवए य १३ सिय चरमाई च अवत्तवयाई च १४ णो अचरमे य अवत्तवए य १५ णो अचरमे य अवत्तवयाई च १६ णो अचरमाई च अवत्तबए य १७ पो अचरमाई च अवत्तवयाई च १८ सिय चरमे य अचरमे य अवत्तवए य १९ सिय चरमे य अचरमे य अवत्तवयाई च २०सिय चरमे य अचरिमाई च अवत्तबए अ२१ णो चरिमे य अचरिमाई च अवत्तवयाई च २२ सिय घरमाई च अचरमे य अवत्तबए य २३ सिय चरमाई च अचरमे य अवत्तवयाई च २४ सिय चरमाई च अचरमाई च अवत्तहए य २५ सिय चरमाई च अचरमाई च अवत्तबयाई च २६ । अट्ठपएसिए गं भंते ! खंधे पुच्छा, गोषमा ! अट्टपएसिए खंधे सिय चरमे १ नो अचरमे २ सिय अवत्तवए ३ नो चरमाई ४ नो अचरमाई ५ नो अबत्तत्वयाई ६ सिय चरिमे य अचरिमे य ७ सिय चरिमे य अचरिमाईच ८ सिय चरिमाई च अचरिम य ९सिय चरमाई च अचरमाई च १० सिय चरमे य अवत्तवए य ११ सिय चरमे य अवचबयाई च १२ सिय चरिमाइं च अवत्तवए य १३ सिय चरिमाई च अवत्तवयाई च १४ णो अचरिमे य अवत्तवए य १५ णो अचरिमे य अवत्तवयाई च १६ णो अचरिमाई च अवत्तवए य १७ णो अचरिमाइं च अवतत्वयाई च १८ सिय चरिमे य अचरिमेय अवत्तबए य १९ सिय चरिमे य अचरिमे य अबत्तत्वयाई च २० सिय चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तबए अ२१ सिय चरिमे य अचरिमाई च अवत्तवयाई च २२ सिय चरिमाई च अचरिमेय
दीप अनुक्रम [३६४-३७१]
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