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________________ आगम (१५) प्रत सूत्रांक [१५७ - १५८] गाथा: दीप अनुक्रम [३६४ -३७१] पदं (१०) उद्देशक: [-1 मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ..... प्रज्ञापनायाः मल य० वृत्ती. ॥२३३॥ tweetnessese “प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र- ४ उपांगसूत्र- ४ ( मूलं + वृत्तिः) दारं [-1. मूलं [११४-१५८] + गाथा: (१-५) ...आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः Education Internation ............................... माई च अचरमे य ९ सिय चरमाई च अचरमाई च १० सिय घरमे य अवत्तवए य ११ सिय चरमे य अवतवयाई च १२ सिय चरमाई व अवचवए य १३ नो चरमाई च अवत्तहयाई च १४ नो अचरमे य अवत्तवर य १५ नो अचरमे य अवयाई च १६ नो अचरमाई च अवतवए य १७ नो अचरमाई च अवत्तवयाई च १८ नो चरमे य अचरमे य अवत्तएय १९ नो चरमे य अचरमे य अवसबयाई च २० नो चरमे य अचरमाई च अवसइए य २१ नो चरमे य अचरमाई च अवत्तया च २२ सिय चरमाई च अचरमे य अवतवए य २३ सिय चरमाई च अचरमे य अवत्तवयाई च २४ सिय चरमाई च अचरमाई च अवतार य २५ नो चरमाई च अचरमाई च अवत्तहयाई च २६ । छप्पएसिए णं भंते! पुच्छा, गोयमा ! छप्पएसिए गं खंधे सिय चरमे १ नो अचरमे २ सिय अवतार ३ नो चरमाई ४ नो अचरमाई ५ नो अवत्तवयाई ६ सय चरमे य अचरमे य ७ सिय चरमे य अचरमाई च ८ सिय चरमाई च अचरमे य ९ सिय चरमाई च अचरमाई च १० सिय चरमे य अवतवए अ ११ सिय चरमे य अवत्सयाई च १२ सिय घरमाई च अवत्तवए अ १३ सिय चरमाई च अवत्तद्वयाई च १४ नो अचरमे य अवत्वए य १५ नो अचरमे य अवत्तवयाई च १६ नो अचरमाई च अबताए य १७ नो अचरमाई च अवत्तवयाई च १८ सिय चरमे य अचरमे य अवत्तवए य १९ नो चरमे य अचरमेय अवत्तवयाई च २० नो चरमे य अचरमाई च अवतार य २१ नो चरमे य अचरमाई च अवत्तया च २२ सिय चरमाई च अचरमेय अवत्वए य २३ सिय चरमाई च अचरमे य अवत्तवयाई च २४ सिय चरमाई च अचरमाई च अवत्तवए य २५ सिय चरमाई च अचरमाई च अवत्तवया च २६ । सतपएसिए णं भंते! संधे पुच्छा, गोयमा ! सचपएसिए णं खंधे For Parts Only ~ 470 ~ १० चरमाचरमपदे द्विप्रदेशादीनां चरमादितासू १५८ ॥२३३॥
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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