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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१०], -------------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [-], -------------- मूलं [१५५-१५६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[१५५
प्रज्ञापनायाः मलय.वृत्ती. ॥२३॥
१०चरमाचरमपदे रत्नप्रभादिचरमादीनामल्पबहुत्वं सू. ५५-५६
-१५६]
9829082929
भंते ! अचरमस्स पचरमाण य चरमन्तपदेसाण य अचरमन्तपदेसाण य दबट्टयाए पएसट्टयाए दबट्टपएसट्टपाए कयरे २ हितो अब.तु.वि०१, गोयमा ! सबत्यो अलोगस्स दवट्टयाए एगे अचरम चरमाई असंखिजगुणाई अचरम चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, पएसट्टयाए सवत्थोवा अलोगस्स चरमन्तपदेसा अचरमन्तपएसा अणन्तगुणा चरमन्तपदेसा प अचरमन्तपदेसा य दोषि विसेसाहिया, दबदुपएसट्टयाए सबथोवे अलोगस्स एगे अचरमे परमाई असंखेअगुणाई अचरमं च चरमाणि य दोषि विसेसाहियाई, चरमन्तपएसा असंखेजगुणा, अचरमन्तपएसा अणन्तगुषा, चरमन्तपएसा य अचरमन्तपएसा य दोवि विसेसाहिया ॥ लोगालोगस्स गं भंते! अचरमस्स य चरमाण य चरमन्तपएसाण य अचरमन्तपएसाण य दबट्टयाए पएसद्वयाए दबट्टपएसट्टयाए कयरे २ हिंतो अ५००वि०१, गोयमा! सबथोवे लोगालोगस्स दबट्टयाए एगमेगे अचरमे, लोगस्स चरमाई असंखेजगुणाई, अलोगस्स चरमाई विसेसाहियाई, लोगस्स (य) अलोगस्स य अचरम य चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, पएसट्टयाते सव्वत्थोवा लोगस्स चरमन्तपदेसा, अलोगस्स चरमन्तपदेसा विसेसाहिला, लोगस्स अचरमन्तपएसा असंखेजगुणा, अलोगस्स अचरमन्तपएसा अणन्तगुणा, लोगस्स य अलोमस्स प चरमन्तवदेसा च अचरमन्तपदेसा य दोवि विसेसाहिया । दादुपएसट्टयाए सबथोवे लोगालोगस्स दवट्टयाए एगमेगे अचरमे, लोगस्स परमाई असंखेजगुणाई, अलोगस्स चरमाई विसेसाहियाई, लोगस्स य अलोगस्स य अचरम परमाविष दोषि विसेसाहियाई, लोगस्स चरमन्तपदेसा असंखेजगुणा, अलोगस्स य चरमन्तपएसा विसेसाहिया, लोगस्स
दीप अनुक्रम [३६२-३६३]
॥२३
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