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आगम
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं वृत्ति:) पदं [५], --------------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [-], -------------- मूलं [१०५-११०]
(१५)
प्रत सूत्रांक [१०५-११०]
Poeaeesemestre esercedees
अभहिए असंखिजइभागअन्भहिए वा संखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिजगुणअब्भहिए वा वहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहि मइअनाणपञ्जवेहिं सुयअनाणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए |आउकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पवना, गोयमा ! अणंता पञ्जवा पन्नता, से केणटेणं मंते ! एवं बुबह आउकाइयाण अपंता पञ्जवा पचत्ता, गोयमा! आउकाइए आउकाइयस्स दवद्वयाए तुल्ले पएसद्वयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए चउहाणवडिए ठिईए तिहाणवडिए बनगंधरसफासमहअनाणसुअअचाणअचक्खुर्दसणपज्जवेहिं छहाणवडिए ॥ तेउकाइयाणं पुच्छा गोयमा! अर्णता पजवा पनचा, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-तेउकाइयाणं अर्णता पजवा पन्नत्ता, गोयमा ! तेउकाइए तेउकाइयस्स दबट्टयाए तुच्छे पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउहाणवडिए, ठिईए तिहाणवडिए, वनगंधरसफासमइजनाणसुयअन्नाणअचक्खुदंसणपजवेहि य छहाणवडिए । वाउकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! वाउकाइयाण अर्णता पञ्जवा पन्नचा, से केण?णां भंते ! एवं बुचइ-बाउकाइयाणं अर्णता पञ्जवा पनत्ता, गोयमा ! वाउकाइए वाउकाइयस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसहयाए तुल्ले
ओगाहणद्वयाए चउहाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वनगंधरसफासमइअन्नाणसुयअन्नाणअचक्खुदंसणपजवेहिं छहाणवडिए । वणस्सइकाइयाणं पुच्छा गीयमा ! अर्णता पजवा पबचा, से केणडेणं भंते ! एवं बुच्चइ-वणस्सइकाइयाण अणंता पञ्जवा पन्नचा ?, गोयमा ! वणस्सइकाइए वणस्सइकाइयस्स दबयाए तल्ले पएसद्वयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउहाणवडिए ठिईए तिहाणवडिए वनगंधरसफासमइअन्नाणसुयअन्नाणअचक्खुदसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएणडेणं गोयमा! एवं बुच्चइ-वणस्सइकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ।। (सू०१८६) बेइंदियाणं पुच्छा गोयमा! अर्णता पजवा
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दीप अनुक्रम [३०९-३१४]
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