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आगम
(१५)
प्रत
सूत्रांक
[१०५
-११०]
दीप
अनुक्रम
[३०९
-३१४]
प्रज्ञापना
या मल
य० वृत्तौ.
॥ १८४॥
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पदं [५],
Education intimation
“प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः )
उद्देशक: [-]
दारं [-],
असुरकुमार आदीनाम् पर्याय:
असुरकुमाराणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणद्वेगं भंते! एवं बुच्चइ-असुरकुमाराणं अता पज्जवा पद्मत्ता १, गोयमा ! असुरकुमारे असुरकुमारस्स दबट्टयाए तुले परसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए उाणडिए ठिईए चउद्वाणवडिए कालवनपजवेहिं छट्टाणवडिए एवं नीलवन्नपअवेहिं लोहियवमपज्जवेहिं हालहवनपञ्जवेहिं सुकिल्लवनपज्जवेर्हि सुभिगंधपज्जवेहिं दुग्भिगंधपजवेहिं तित्तरसपज्जवेहिं कडुयरसपज्जवेहिं कसायरसपज्जवेहिं अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपज्जवेहिं कक्खडफासपज्जवेहिं मउयफासपज्जवेहिं गरुयफासपज्जवेहिं लहुयफासपज्जचेहिं सीयफासपञ्जवेहिं उसिणफासपज्जवेहिं निद्धफासपजवेहिं लुक्खफासपज्जवेहिं आभिणिबोहियणाणपञ्जवेहिं सुयनाणपञ्जवेहिं ओहिनाणपज्जवेहिं मइअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपञ्जवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपञ्जवेहिं अचक्षुदंसणपञ्जवेर्हि ओहिदंसणपञ्जवेहिं छाणवडिए, से एएणद्वेगं गोयमा ! एवं बुबइ- असुरकुमाराणं अनंता पजवा पन्नत्ता एवं जहा नेरइया, जहा असुरकुमारा वहा नागकुमारावि जाव थणियकुमारा ( ०१०५) | पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पत्ता?, गोमा 1 अनंता पवा पन्नत्ता, से केणट्ठेणं भंते! एवं बुच्चाइ पुढविकाइयाणं अनंता पजवा पत्ता ?, गोयमा ! पुढविकाइए पुढविकाइयस्स दबाए तुल्ले पएसझ्याए तुल्ले ओगाहणडयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अम्भहिए, जड़ हीणे असंखिज्जइभागहीणे या संखिञ्जइभागहीणे वा संखिञ्जइगुणहीणे वा असंखिञ्जइगुणहीणे वा, अह अग्भहिए असंखिजरभागअन्महिए वा संखिजइभागअन्भहिए वा संखिज्जगुणअब्भहिए वा असंखिज्जगुणअन्भहिए वा, ठिईए तिद्वाणवडिए सिय हीणे सिय तुले सिय अम्भहिए, जइ हीणे असंखिज्जभागहीणे वा संखिजभागहीणे वा संखिज्जगुणहीणे वा अह
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मूलं [१०५-११०]
~372~
५ पर्याय
पदे असुरादीनां पर्यायानन्त्यं खू.
१०५-११०
॥ १८४॥
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