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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [३], -- उद्देशक: [-], -------------- दारं [२७], ------- मूल [९३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
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प्रत
सूत्रांक [९३]
दीप अनुक्रम [२९७]
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बायरतेउकाइआ पजत्तया असंखिजगुणा ३ अणुत्तरोववाइया देवा असंखिजगुणा ४ उपरिमगेविजगा देवा संखिजगुणा ५ मज्झिमगेबिजगा देवा संखिजगुणा ६ हिहिमगेविजगा देवा संखिजगुणा ७ अशुए कप्पे देवा संखिजगुणा ८ आरणे कप्पे देवा संखिजगुणा ९ पाणए कप्पे देवा संखिजगुणा १० आणए कप्पे देवा संखिजगुणा ११ अहे सत्तमाए पुढवीए नेरइया असंखिजगुणा १२ छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया असंखिजगुणा १३ सहस्सारे कप्पे देवा असंखिजगुणा १४ महासुके कप्पे देवा असंखिजगुणा १५ पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइआ असंखिजगुणा १६ लंतए कप्पए देवा असंखिजगुणा १७ चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए नेरदा असखिजगुणा १८ भलोए कप्पे देवा असंखिजगुणा १९ तचाए वालुयप्पभाए पुढवीए नेरइआ असंखिजगुणा २० माहिदे कप्पे देवा असंखिजगुणा २१ सणकुमारे कप्पे देवा असंखिजगुणा २२ दोच्चाए सकरप्पभाए पुढवीए नेरझ्या असंखिजगुणा २३ समुच्छिमा मणुस्सा असंखिजगुणा २४ ईसाणे कप्पे देवा असंखिजगुणा २५ ईसाणे कप्पे देवीओ संखिजगुणाओ २६ सोहम्मे कप्पे देवा संखिजगुणा २७ सोहम्मे कप्पे देवीओ संखेजगुणाओ २८ भवणवासी देवा असंखेजगुणा २९ भवणवासिणीओ देवीओ संसेजगुणाओ ३० इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइआ असंखिजगुणा ३१ खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा असंखिजगुणा ३२ खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिजगुणाओ३३ थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिआ पुरिसा संखिजगुणा ३४ थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिजगुणाओ ३५जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिआ पुरिसा संखिजगुणा ३६ जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिअगुणाओ ३७ वाणमंतरा देवा संखिजगुणा ३८ वाणमंतरीओ देवीओ संखिजगुणाओ ३९
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