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________________ आगम (१५) प्रत सूत्रांक [१] दीप अनुक्रम [२९५] Jin Eucator “प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः) पदं [३]. उद्देशक: [-], ------ दारं [२७], मूलं [९१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] “प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः ***99090923 श्रितानां तैजस कार्मणपुद्गलस्कन्धद्रव्याणां च भूयसां भावात् ॥ सम्प्रति परमाणुपुद्गलानां सोयप्रदेशानामसङ्ख्येयप्रदेशानामनन्तप्रदेशानां परस्परमल्पबहुत्वमाह एएसि णं भंते! परमाणुषोग्गलाणं संखेज्जपएसियाणं असंखेअपएसियाणं अणतपएसियाण य खंधाणं दबट्टयाए पएसयाए दबपएस याए करे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा १, गोयमा ! सवत्थोवा अणतपएसिया खंधा दवद्वयाए परमाणुपोग्गला दबट्टयाए अनंतगुणा संखेजपएसिया खंधा दबट्टयाए संखेअगुणा असंखपएसिया खंधा दवाए असंखेजगुणा परसहयाए सबत्थोवा अणतपएसिया संधा पएसइयाए परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए अनंतगुणा संखेज्जपएसिया खंधा पएस ट्टयाए संखेज्जगुणा असंखपएसिया खंधा परसहयाए असंखेजगुणा दवद्वपregate सवत्थोवा अनंतपएसिया खंधा दट्टयाए ते चेत्र पएसट्टयाए अनंतगुणा परमाणुपोम्गला दबढपएस याए अनंतगुणा संखेअपएसिया खंधा दबट्टयाए संखेजगुणा ते चैव पएसट्ट्याए संखेज्जगुणा असंखपएसिया खंधा दवयाए असंखेजगुणा ते चैव परसट्टयाए असंखेजगुणा ॥ एएसिणं भंते! एगपएसोगाढाणं संखेज्जपरसोगाढाणं असंअपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दवहयाए पएसइयाए दडपएसइयाए कमरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सवत्थोवा एगपएसोगाढा पोम्गला दबट्टयाए संखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए संखेज्जगुणा असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दवट्टयाए असंखेज्जगुणा पएसइयाए सवत्थोवा एगपएसोगाढा पोम्गला For Parts Only ~ 323~ statatatata andrary org
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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