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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) -------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [२७], -------------- मूलं [९२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सुत्रांक प्रज्ञापनाया: मलयवृत्ती. ॥१०॥ 9939790 apers ३ अल्पबहुत्वपदे द्रव्यक्षेत्रकालभावाल्प.सू. [९२] पएसट्ठयाए संखिजपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए संखिजगुणा असंखिजपएसोगाढा पुग्गला पएसहयाए असंखेजगुणा दबहपएसट्टयाए सवथोवा एगपएसोगाढा पुग्गला दबट्ठपएसढयाए संखिजपएसोगाढा पुग्गला दबट्टयाए संखिजगुणा ते चेव पएसद्वयाए संखिजगुणा असंखिजपएसोगाढा पुग्गला दबट्टयाए असंखिजगुणा ते चेव पएसट्टयाए असं खिजगुणा । एएसि णे भन्ते! एगसमयठियाणं असंखिजसमयठिइयाणं पुग्मलाणं दबयाए पएसट्टयाए दबढपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सवत्थोवा एगसमयठिइया पुग्गला दबट्ठयाए संखिजसमयठिझ्या पुग्गला दबट्ठयाए संखिजगुणा असंखिजसमयठिइया पुग्गला दबट्टयाए असंखिजगुणा पएसहयाए सबथोवा एगसमयठिया पुग्गला पएसट्टयाए संखिजसमयठिड्या पुग्गला पएसहयाए संखेजगुणा असंखिजसमयठिइया पुग्गला पएसट्टयाए असंखेजगुणा दबट्टपएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगसमयठिइया पुग्गला दबहपएसट्टयाए संखिजसमयठिया पुग्गला दबट्ठयाए संखिजगुणा ते चेव पएसद्वयाए संखिजगुणा असंखिजसमयठिझ्या पुग्गला दबट्टयाए असंखिजगुणा ते चेव पएसद्वयाए असंखिजगुणा । एएसि णं भंते एगगुणकालगाणं संखिजगुणकालगाणं असंखिजगुणकालगाणं अर्णतगुणकालगाण य पुग्गलाणं दबट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा ! जहा पुग्गला तहा भाणियहा, एवं संखिजगुणकालगाणवि, एवं सेसावि वण्णा मंधा रसा फासा भाणियबा, फासाणं कक्खडमउयगुरुपलहुयाणं जहा एगपएसोगाढाणं भणियं तहा भाणिया । अवसेसा फासा जहा बना तहा भाणियबा ॥ दारं (सू०९२) दीप अनुक्रम [२९६] टायट ॥१६॥ ~324 ~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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