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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं वृत्ति:) पदं [३], --------------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [२५], -------------- मूलं [८९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] “प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
प्रज्ञापनाया। मलयवृत्ती.
सूत्रांक
३ अल्पबहुत्वपदे क्षेत्रानुपा. वसकायिका०बन्धकाधल्प.
[८९]
॥१५५॥
दीप अनुक्रम [२९३]
लोए संखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा | खित्ताणुवाएणं सत्थोवा तसकाइया अपजत्तया तेलोके उद्दलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा अहोलोयतिरियलोए संखिज्जगुणा उहुलोए संखिजगुणा अहोलोए संखिज्जगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा । खिचाणुवाएम सबथोवा तसकाइया पजत्चया तेलोके उडलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा उडलोए संखिज्जगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा ।। (मू०८९) इमानि पञ्चेन्द्रियसूत्रबद् भावनीयानि । गतं क्षेत्रद्वारम् , इदानी बन्धद्वारं वक्तव्यं-बन्धोपलक्षितं द्वारं, तदाहएएसिणं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अबंधगाणं पञ्जनाणं अपञ्जत्ताणं सुत्ताण जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सायावेयगाणं असायावेयगाणं इंदिओवउत्ताणं नोइंदिओवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्या वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सबथोवा जीवा आउयस्स कम्मस्स बंधगा १ अपञ्जतया संखेजगुणा २ सुत्ता संखेनगुणा ३ समोहया संखेजगुणा ४ सायावेयगा संखेजगुणा ५ इंदिओवउत्ता संखेजगुणा ६ अणागारोक्उत्ता संखेजगुणा ७ सागारोवउत्ता संखेजगुणा ८ नोइंदिओवउत्ता विसेसाहिया ९ असायावेयगा विसेसाहिया १० असमोहया विसेसाहिया ११ जागरा विसेसाहिया १२ पञ्जत्तया विसेसाहिया १३ आउयस्स कम्मस्स अबधया विसेसाहिया १४ (मू०९०)
॥१५५॥
तृतीय-पदे (२६) "बन्ध" द्वारम् आरब्ध:
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