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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
-------- उद्देशक: [-1, -------------- दारं [२५], ------------- मूलं [८८] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[८८]
दीप
यतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखेजगुणा अहोलोए विसेसाहिया ॥ खिचाणुवाएणं सबत्थोवा वाउकाइया अपञ्ज तया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया। खिताणुवाएणं सबथोवा बाउकाइया पञ्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुके असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया ॥ खित्ताणुवाएणं सवत्थोवा वणस्सहकाइया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खिताणुवाएणं सबथोरा वणस्सइकाइया अपज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुके असंखिजगुणा उङ्गलोए असंखिजगुणा अहोलोए बिसेसाहिया । खिचाणुवाएणं सबथोवा वणस्सइकाइया पजत्तया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया (सू०८८)
इमानि पञ्चदशापि सूत्राणि प्रागुक्तकेन्द्रियसूत्रवद्भावनीयानि । साम्प्रतमौधिकत्रसकायापर्याप्तपर्यासत्रसकायसूत्राण्याहखित्ताणुवाएणं सबथोवा तसकाइया तेलोके उड्डलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा उड
अनुक्रम [२९२]
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