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आगम
(१५)
ལླཱ ཡྻ
[८७]
अनुक्रम [२९१]
प्रज्ञापनाया: मल
य० वृसौ.
॥१५४॥
“प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः)
पदं [३].
उद्देशक: [-],
------ दारं [२५],
मूलं [८]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] " प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः
खितानुवाणं सवत्थोवा पुढविकाइया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा तेलोके असंखिज्जगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खित्ताणुवारणं सवत्थोवा पुढविकाइया अपजत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोपतिरियलोए बिसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा तेलोके असंखिज्जगुणा उड्डलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खित्ताणुवाएणं सवत्थोवा पुढविकाइया पजत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा तेलुके असंखिजगुणा उडलोए असंखिञ्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया || खिचाणुवारणं सङ्घत्थोवा आउकाइया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा तेलुके असंखिज्जगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खित्ताणुवाएणं सवत्थोवा आउकाइया अपज्जत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिगुणा उडलो असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खित्ताणुवाएणं सवत्थोवा आउकाइया पज्जतया उडलोयतिरिलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया || खिचाणुवाएणं सवत्थोवा तेउकाइया उगलोयतिरियलोए अहोलोयति रियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिञ्जगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खिचाणुवा सङ्घत्योवा उकाइया अपजत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोयविरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिञ्जगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खिचाणुवाएणं सवत्थोवा तेउन्हाइया पज्जत्तया उडलो
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~312~
१ अल्प
बहुपदे
क्षेत्रानुपा. पृथ्व्यादी
नामल्प.
सूत्रं. ८८
॥ १५४॥