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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [३], --------- उद्देशक: [-], --------------- दारं [२५], -------------- मूलं [८४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
eceपरत
सूत्रांक [८४]
दीप अनुक्रम [२८८]
eeeeeररहन्छ
खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवा भवणवासी देवा उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा तेलोके संखेजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तिरियलोए असंखेजगुणा अहोलोए असंखेजगुणा । खेत्ताणुवाएणं सत्वत्थोवाओ भवणवासिणीओ देवीओ उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणाओ तेलोके संखेजगुणाओ अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणाओ तिरियलोए असंखेजगुणाओ अहोलोए असंखेजगुणाओ॥ खेचाणुवाएणं सबत्थोवा वाणमंतरा देवा उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलोके संखेजगणा अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा अहोलोए संखेजगुणा तिरियलोए संखेजगुणा । खेचाणुवाएणं सवत्थोवाओ चाणमंतरीओ देवीओ उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणाओ तेलोके संखेजगुणाओ अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणाओ अहोलोए संखेजगुणाओ तिरियलोए संखेजगुणाओ ॥खेचाणुबाएणं सबथोवा जोइसिया देवा उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलोके संखेजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा अहोलोए संखेजगुणा तिरियलोए असंखेजगुणा । खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवाओ जोइसिणीओ देवीओ उड्डलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणाओ तेलोके संखेजगुणाओ अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणाओ अहोलोए संखेअगुणाओ तिरियलोए असंखेजगुणाओ॥ खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवा वेमाणिया देवा [अन्याय०२०००] उड्डलोयतिरियलोए तेलोके संखेजगुणा अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखेजगुणा उडलोए असंखिजगुणा । खिचाणुवाएणं सत्वत्थोवाओ वेमाणिणीओ देवीओ उड्डलोयतिरियलोए तेलोके संखेजगुणाओ अहोलोयतिरियलोए संखेजगुणाओ अहोलोए संखेजगुणाओ तिरियलोए संखेजगुणाओ उडलोए असंखेजगुणाओ (मु०८४)
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