________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः 15 पूज्य आगमोध्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरेण संशोधित: संपादितश्च। “प्रज्ञापना (उपांग)सूत्र" [मूलं एवं मलयगिरि-प्रणित वृत्तिः] / (किंचित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: "प्रज्ञापना” मूलं एवं वृत्ति:” नामेण / परिसमाप्त: Remember it's a Net Publications of 'jain_e_library's' ~12274