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आगम (१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------ उद्देशक: [-], ---------- दारं [-], ----------- मूलं [...३७] + गाथा:(१०८-१२८) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[३७]
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गाथा:
यरायदसणा [य] रियाय अचरिमसमवउपसंतकसायवीयरायदसणा यारिया य । से कितं खीणकसायवीयरायदंसणा[रिया , खीणकसायवीयरायदंसणा [वरिया दविडा प०.०-छउमस्थखीणकसायवीयरायदसणा[य]रिया य केवलिखीणकसायवीयरायदसणा [यरिया य । से कितं छउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा [य] रिया, छउमत्थखीणकसायवीयरायदसणायरिया दुविहा प०, तं०-सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा [य] रिया य पुरोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा[य] रिया य, से कितं सर्यबुद्धछउमत्थखीणकसायचीयरायदसणा[य] रिया, सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा [य] रिया दुविहा प०, तं०-पढमसमयसयबुद्धछउमत्थखीणकसायचीयरायर्दसणा [य] रिया य अपढमसमयसयंबद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा[य] रिया य, अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणा या रिया य अचरिमसमयसर्यबुद्धछउमथखीणकसायवीयरायदसणा [य] रियाय, से २ सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा यरिया । से किं तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा [य] रिया ?, बुद्धचोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा[य] रिया दुविहा प०,तं--पढमसमयबुद्धबोहियखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अपढमसमयबुद्धचोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणा [य] रिया य, अहवा चारमसमयबुद्धयोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदसणा [य] रिया य अचरिमसमयबुद्धचोहियछउमत्थखीणकसायचीयरायदंसणा [य] रिया य, सेनं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणा[य] रिया, सेत्तं छउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणा [य] रिया । से कितं केवलिखीणकसायवीयरायदसणा [ रिवा, केवलिखीणकसायवीयरायदंसणा [य] रिया दुविहा प०,
दीप अनुक्रम
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