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आगम (१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------ उद्देशक: [-], ---------- दारं [-], ----------- मूलं [...३७] + गाथा:(१०८-१२८) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[३७]
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गाथा:
जिणाणं चकीर्ण रामकण्हाणं ।। ११३ ।। से तं खेत्तारिया ॥ से किं तं जाइआरिया ?, जाइआरिया छबिहा पं०, तं.अंबहा य कलिंदा य, विदेहा वेंदगाइया । हरिया चुचुणा चेव, छ एया इन्भजाईओ॥११॥ सेत्तं जाइआरिया । से कित कुलारिया , कुलारिया छबिहा पं०, तं--उग्गा भोगा राइना इक्खागा णाया कौरवा, सेर्त कुलारिया । से किं ते कम्मारिया , कम्मारिया अगविहा प०, तं०-दोसिया सुचिया कप्पासिया मुत्तवेयालिया मंडवेयालिया कोलालिया नरवाहणिया जे यावन्ने तहप्पगारा, से कम्मारिया । से किं तं सिप्पारिया ?, सिप्पारिया अणेगविहा प०,०-तुण्णागा तंतुवाया पट्टामा देयडा वरुट्टा छविया कहपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा वज्झारा पुच्छारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिज्झगारा सेल्लारा कोडिगारा, जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं सिप्पारिया ।। से किं भासारिया, भासारिया जे णं अद्धमागहाए भासाए भासें ति, तथावि यणं जत्थ बंभी लिवी पबत्तइ, बंभीए णं लिवीए अद्वारसविहे लेक्खविहाणे प०,०--भी जवणार्णिया दोसापुरिया खरोही पुक्खरसारियो भोगवइयां पहराइयाँ अंतक्सरियाँ अक्खरपुडियां वेणइयाँ निण्हइया अंकलिवी गणियलिवी गंवलिवी आयंसलिवी माहेसरी दोमिलिवी पोलिन्दी, से भासारिया। से किं तं नाणारिया, नाणारिया पंचविहा प०, तं०-आभिणियोहियनाणारिया सुयनाणारिया ओहिनाणारिया मणपजवनाणारिया केवलनाणारिया, सेत्तं नाणारिया । से किं तं दसणारिया , दंसणारिया दुविहा पं०, तं०-सरागर्दसणारिया य वीयरायदंसणारिया य, से कि तं सरागदसणारिया?, सरागंदसणारिया दसविहा प०, तं-निसंग्गुवएसई आणरुई सुत्तबीयेरुइमेव । अभिगमवित्थाररुई किरियासंखेवेधम्मरुई ॥११५।। भूपत्थेणाहिगया जीवाजीवे य पुण्णपावं च ।
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दीप अनुक्रम
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-१९०]
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