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आगम
(०५)
प्रत
सूत्रांक
[ ३३५
-३३६]
दीप
अनुक्रम [ ४०८
-४०९]
“भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्ति:)
शतक [८], वर्ग [-], अंतर् शतक [-] उद्देशक [६], मूलं [३३५,३३६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
ओरालियस राओ कतिकिरिया (ए) १, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए। असुर रकुमारे णं भंते! ओरालिपसरीराओ कतिकिरिए ? एवं चेव, एवं जाव बेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहिंतो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए । नेरइए णं भंते ! ओरालियसरीरेहिंतो कतिकिरिए १, एवं एसो जहा पढमो दंडओ तहा इमोवि अपरिसेसो भाणियो जाव बेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे । जीवा णं भंते ! ओरालियसरीराओ कतिकिरिया ?, गोधमा ! सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया, नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीराओ कतिकिरिया १, एवं | एसोबि जहा पढमो दंडओ तहा भाणियचो, जाव वैमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा । जीवा णं भंते ! | ओरालियसरीरेहिंतो कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चकरियावि पंचकिरियावि अकिरियावि, नेरइया णं भंते! ओरालियसरीरेहिंतो कइकिरिया ?, गोयमा । तिकिरियावि चउकिरियाबि पंचकिरियावि एवं | जाव बेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा ॥ जीवे णं भंते ! वेडवियसरीराओ कतिकिरिए ?, गोयमा ? सिप तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए, नेरइए णं भंते ! वेडवियसरीराओ कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चड किरिए एवं जाव वैमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे, एवं जहा ओरालिपसरीराणं चत्तारि दंडका तहा वेउधियसरीरेणचि चत्तारि दंडगा भाणियवा, नवरं पंचमकिरिया न भन्नइ, सेसं तं चैव, एवं जहा वेउचियं तहा आहारगंपि तेयगंपि कम्मगंपि भाणियां, एकेके चत्तारि दंडगा भाणिय
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