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________________ आगम (०५) प्रत सूत्रांक [२] दीप अनुक्रम [११३] ““भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः) शतक [२], वर्ग [-], अंतर् शतक [-], उद्देशक [१], मूलं [ ९२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीयावृत्तिः १ ॥१२०॥ णं भंते ! तुम्भं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामेत्तए, अहासुहं देवाणुपिया मा परिबंधं । तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयस्स कचायणस्सगोत्तस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ, धम्मकहा भाणियब्वा । तए णं से खंदर कचायणस्सगोत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हडतुडे जाव हियए उट्ठाए उट्ठेइ २ समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं करे २ एवं वदासी सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते! निग्गंध पाचपणं, रोएमि णं * भंते! निग्गंध पावयणं, अन्भुडेमि णं भंते । निग्गंध पा०, एवमेयं भंते । तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते से जहेयं तुन्भे वदहत्तिकद्दु समणं भगवं महावीरं बंदति नम॑सति २ उत्तरपुरच्छिमं दिसीभार्य अवकमइ २ तिदंडं च कुंडियं च जाव घाउरसाओ य एगंते एडेइ २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आग्राहिणं पयाहिणं करेइ करेत्ता जाव नमसित्ता एवं वदासी-आलित्ते णं भंते ! लोए पलिप्ते णं मं० लो० आ० प० मं० लो० जरामरणेण य, से जहानामए केइ गाहावती आगारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पसारे मोलगरूए तंगहाय आयाए एगंतमंत अवकमइति, एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए सुहाए खमाए निस्सेसार आणुगामियन्ताए भविस्सह, एवामेव | देवाणुपिया ! मज्झवि आया एगे भंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने मणामे थे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए Eucation Internationa For Penal Use Only २ शतके उद्देशः १ स्कन्दकच रितं सू९१ ~245~ ॥१२०॥ ***अत्र मूल-संपादने एक सामान्य मुद्रण-दोष: दृश्यते (यहाँ दायीं तरफ ऊपर सू ९१ लिखा है, वहां सू ९२ होना चाहिए, क्योंकि सूत्र के आखिर में ९२ ही लिखा है, मूल सम्पादनमें यह भूल का कारण है--सूत्र ९० को दो भागोमे बांटना, ऐसे दो भाग "आगममञ्जूषा" में भी नहीं है ) स्कंदक (खंधक) चरित्र
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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