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आगम (०५)
"भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [७], मूलं [७८९-७९२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [७८९-७९२]
दीप अनुक्रम [९४४-९४८..]
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४|| सहाणे नो हीणे तुल्ले नो अम्भहिए । एएसि णं भंते ! सामाइयछेदोवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिपसुहमसंपराय
अहक्खायसंजयाणं जहन्नुकोसगाणं चरित्तपत्रवाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सामाइय| संजयस्स छेओबट्ठावणियसंजयस्स य एएसिणं जहन्नगा चरितपज्जवा दोण्हवि तुल्ला सबस्थोवा परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपजवा अणंतगुणा तस्स चेव उकोसगाचरित्तपजवा अणंतगुणा सामाइयसंजयस्स छेओवट्ठावणियसंजयस्स य एएसिणं उकोसगा चरित्तपजवा दोण्हवि तुल्ला अनंतगुणा सुहमसंपरायसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा अहक्खायसंजयस्स अजहन्नमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा १५॥ सामाइयसंजए णं भंते! किं सजोगी होजा अजोगी होजा?, गोयमा सजोगी जहा पुलाए एवं जाच सुहुमसंपरायसंजए अहक्खाए जहा सिणाए १६॥सामाइपसंजए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होजा अणागारोवउ०१, गोयमा! सागारोवउत्ते जहा पुलाए एवं जाव अहक्खाए, | नवरं सुहमसंपराए सागारोवउत्ते होजा नो अणागारोवउत्से होजा १७ ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! किं सकसायी होजा अकसायी होजा?, गोयमा! सकसायी होज्जा नो अकसायी होजा, जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठायणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए, मुहुमसंपरागसंजए पुच्छा, गोयमा ! सकसायी होजा नो अकसायी होजा, जइ सकसायी होजा से णं भंते ! कतिसु कसायेसु होजा?, गोयमा! एगमि संजलणलोभे होजा, अहक्खायसंजए जहा नियंठे १८॥ सामाइयसंजए णं भंते ! किं सलेस्से होज्जा अलेस्से होजा,
| संयत, तस्य स्वरुपम्, सामायिकसंयत आदि पञ्च-भेदा:, संयतस्य विविध-वक्तव्यता
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