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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-1, उद्देशक [६], मूलं [७५२-७५५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [७५२-७५५]]
८९शा
व्याख्या- होजा धेरकप्पे होजा कप्पातीते होजा?, गोयमा! नो जिणकप्पे होजा थेरकप्पे होजा णो कप्पातीते || २५ शतके
प्रज्ञप्तिःहोजा । बउसे गं पुच्छा, गोयमा! जिणकप्पे वा होजा धेरकप्पे वा होज्जा नो कप्पातीते होजा, एवं पहि- उद्देशः६ अभयदेवी-४ सेवणाकुसीलेवि । कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! जिणकप्पे वा होजा धेरकप्पे होजा कप्पातीते वा
रागादिकया वृत्तिा होज्जा । नियंठे णं पुच्छा, गोयमा नो जिणकप्पे होजा नो घेरकप्पे होजा कप्पातीते होजा, एवं सिणाएवि
ल्पा:सयंमाः [४॥ (सूत्रं ७५३) पुलाए णं भंते ! किं सामाइयसंजमे होजा छेओवट्ठावणियसंजमे होजा परिहारविसुद्धि
प्रतिसेवासू
७५२-७५५ यसंजमे होज्जा सुहमसंपरागसंजमे होज्जा अहक्खायसंजमे होजा?, गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होजा छेओवट्ठावणियसंजमे वा होजा णो परिहारविसुद्धियसंजमे होजा णो मुहुमसंपरागे होजा णो अहक्खाय|संजमे होजा, एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले णं पुच्छा, गोपमा ! सामाइयसंजमे वा होजा जाव सुहुमसंपरागसंजमे वा होजा णो अहक्खायसंजमे होजा। नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! णो सामाइयसंजमे होजा जाव णो मुहमसंपरागसंजमे हो. अहक्खायसं० होजा, एवं सिणाएचि ५॥(सर्व ७५४) पुलाए णं भंते ! किं पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा, गोयमा! पडिसेवए होजा णो अपडिसेवए हो
ज्जा, जइ पडिसेवए होना किं मूलगुणपडिसेवए होज्जा उत्तरगुणपडिसेवए होजा!, गोयमा ! मूलगुणपडिहा संवए वा होजा उत्तरगुणपडिसेवए वा होजा, मूलगुण पडिसेवमाणे पंचण्हं आसवाणं अन्नपरं पडिसेवेजा, उत्त-I||८९३॥
रगुण पडिसेवमाणे दसविहस्स पञ्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेजा । यउसे णं पुच्छा , गोयमा! पडिसेवए हो-||
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दीप अनुक्रम [९०२-९०५]
RELIGunintentATHREE
निर्ग्रन्थः, तस्य स्वरुपम, भेदा: इत्यादि विविध-विषय-वक्तव्यता
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