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________________ आगम (०५) प्रत सूत्रांक [६९१] गाथा दीप अनुक्रम [८२२ -८२८] “भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः) शतक [२२], वर्ग [१-६], अंतर् शतक [ - ], उद्देशक [१-१० ], मूलं [ ६८८ ] + गाथा मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः व्याख्या नंदिरुक्खपिप्पलिसतरपिलक्खुरुक्खकाउंबरियकुच्छु भरिपदेवदालितिलगल उयछत्तोह सिरीससत्तवन्नदद्दियन्नप्रज्ञप्तिः ४ लोवचंदणअज्जुणणीवकुडुगकलंवाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! एवं एत्थवि अभयदेवीमूलादीया दस उद्देसगा तालवन्गसरिसा नेयवा जाव वीयं ॥ तइओ वग्गो समत्तो ॥ २२-३ ॥ अह भंते ! या वृत्तिः २ वाइंगणिअलइपोडर एवं जहा पन्नवणाए गाहाणुसारेण शेषवं जाब गंजपाडलाबासिअंकोल्लाणं एएसि णं ॥८०३ | ४ जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा तालबग्गसरिसा नेयथा जाव बीयंति निरवसेसं जहा वंसबग्गो ॥ चत्थो वग्गो समत्तो ॥ २२४ ॥ अह भंते! सिरियकाणवना लियको रंगबंधु| जीवग मणोजा जहा पनवणाए पढमपदे गाहाणुसारेणं जाव नलणी य कुंदमहाजाईणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकर्मति एवं एत्थवि मूलादीपा दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीणं ॥ पंचमो वग्गो सम्मतो ।। २२-५ ।। अह भंते! पूसफलिकालिंगी तुंबीत उसीएलावालुंकी एवं पदाणि छिंदियवाणि पनवणागाहानुसारेणं जहा तालबग्गे जाव दधिफोलड़का कलिसोक्कलि अक्कबोंदीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं मूलादीया दस उ० कायवा जहा तालबग्गो नवरं फलउसे ओगाहणाए जहने अंगुल असंखे० भागं उक्को० धणुहपुहुत्तं ठिती सवस्थ जहनेणं अंतोमु० उक्कोसेणं वासपुहन्तं सेसं तं चैव ॥ छट्टो वग्गो समत्तो ॥ २२-६ ॥ एवं छवि वग्गेसु सहि उद्देसगा भवंति ॥ (सूत्र ६९१ ) बावीसतिमं सर्व सम्मतं ॥ २२ ॥ 'ताले 'त्यादि, तत्र 'ताले 'ति ताडतमालप्रभृतिवृक्षविशेषविषयोद्देशकदशकात्मकः प्रथमो वर्गः, उद्देशकदशकं च Education Internation For Parts Only द्वाविंशतितमं - शतके षड् वर्गाः वर्तते, प्रतेक वर्गे दश दश उद्देशकाः सन्ति ~ 1610~ २२ शतके तालादिमूलादि वर्गाः ६ सू ६९१ ॥८०३ !!
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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