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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [११], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [११], मूलं [४२८] + गाथा मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४२८] गाथा वयारकलियं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कजाव गंधवहिभूयं करेह य करावेह य करेत्ता करावेत्ता सीहासणं रएह |११शनके प्रज्ञप्तिः ||सीहासणं रयावेत्ता ममेतं जाव पचप्पिणह, तए णं ते को९वियजाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सविसेस ||४|११ उद्देश: अभयदेवी- बाहिरियं उचट्ठाणसालं जाव पचप्पिणंति, तए णं से बले राया पचूसकालसमयंसि सयणिजाओ अभुट्टेहमूहाबलगया वृत्तिः२ |सयणिज्जाओ अब्भुढेत्ता पायपीढाओ पचोकहह पायपीढाओ पचोरूहिसा जेणेव अहणसाला तेणेच उवाग-भजन्मादि कछति अट्टणसालं अणुपविसइ जहा उववाइए तहेव अणसाला तहेव मजणघरे जाव ससिब पियदसणे नर-दा सू ॥५३७॥ दबई मजणघराओ पडिनिक्खम पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उबट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छह तेणेव || उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरच्छाभिमुहे निसीयइ निसीइत्ता अप्पणो उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए अट्ठ कामदासणाई सेयवस्थपञ्चुत्थुयाई सिद्धस्थगकयमंगलोवयाराई रयावेइ रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामंते णाणा मणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिजं महग्धवरपणुग्गयं सहपबहभत्तिसयचित्ततार्ण इहामियउसमजाव-* भत्तिचित्तं अभितरियं जवणियं अंगावेद अंछावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्तं अच्छरयमउयमसूरगो-||5| छग सेयवत्थपचुत्धुयं अंगसुहफासुयं सुमजयं पभावतीए देवीए भद्दासणं रयावेइ रयावेत्ता को९वियपुरिसे सद्दावेइ सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अटुंगमहानिमित्तसुत्तत्थधारए विवि- ५३७॥ हसत्थकुसले सुविणलक्खणपाढए सहावेह, तए गं ते कोडंबियपुरिसा जाव पडिमुणेत्ता बलस्स रन्नो | अंतियाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता सिग्धं तुरियं चबलं चंडं वेइयं हथिणपुर नगरं मज्झमझेणं दीप अनुक्रम [५१८ -५२०] महाबलकुमार-कथा ~ 1079~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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