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आगम
(०३)
“स्थान" - अंगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:)
स्थान [२], उद्देशक [१], मूलं [६०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०३], अंग सूत्र - [०३] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
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सूत्रांक
[५८-६०]
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पं० सं०-पाणातिवायकिरिया चेव अपचक्खाणकिरिया चेव १०, पाणातिवायकिरिया दुविदा पं००-सहस्थपाणातिवायकिरिया चेव परहल्थपाणातिवायकिरिया चेव ११, अपच्चक्खाणकिरिया दुविहा पं० ०-जीवअपञ्चक्माणकिरिवा चेव अजीबअपञ्चक्याणकिरिया चेव १२, दो किरियाओ पं० सं०-आरंभिया चेव परिग्गहिया चेव १३, आरमिया किरिया दुविहा पं० सं०---जीवआरंभिया चेव अजीवआरंभिया चेव १४, एवं परिग्गहियावि १५, दो किरियाओ पं० सं०-मायावत्तिआ चेव मिच्छादसणवत्तिया चेव १६, मायावत्तिया किरिया दुविहा पं० २०-आयभावर्वकणता चेव परभावकणता चेव १७, मिच्छादसणवत्तिया किरिया दुविहा पं० २०–णाइरित्तमिच्छादसणवत्तिया चेव तम्वइरित्तमिच्छादसणवत्तिया चेव १८, दो किरियाओ पं०२०-दिविया चेव पुडिया व १९, दिट्ठिया किरिया दुविहा पं० सं०-जीवदिहिया चेव अजीवदिविया चेव २०, एवं पुट्टिवावि २१, दो किरियाओ पं० २०-पाडुचिया चेष सामंतोवणिवाइया चेव २२, पाडुशिया किरिया दुविहा पं० सं०-जीवपाडुचिया चेव अजीवपाधुधिया चेव २३, एवं सामंतोषणियाच्यावि २४, दो किरियाओ पं० २०-साहत्थिया चेव णेसत्थिया चेव २५, साहस्थियाकिरिया दुविहा पं० सं०-जीवसाहत्थिया चेव अजीवसाहत्विया व २६, एवं सत्थियावि २७, दो किरियाओ पं० २०
-आणवणिया चेव वेवारणिया चेव २८, जहेव णेसत्थियाओ २९-३०, दो किरियाओ पं० सं०-अणाभोगवत्तिया व अणवखवत्तिया चेत्र ३१, अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा पं० २०-अणाउत्तभआइयणता व अणाउत्तपमळणता चेव ३२, अणवखवत्तिया किरिया दुविहा पं० सं०-आयसरीरअणवखवत्तिया चेव परसरीरभणव
दीप अनुक्रम [५८-६०]
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क्रियानाम् वैविध्यं
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