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________________ आगम (०३) प्रत सूत्रांक [८] दीप अनुक्रम [८] "स्थान" अंगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्तिः ) उद्देशक (3) स्थान [२], ..आगमसूत्र [०३ ], अंग सूत्र [०३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .... .......... Internationa - ताश्चैवं "गंगा १ सिंधू २ तह रोहियंस ३ रोहीणदी य ४ हरिकंता ५। हरिसलिला ६ सीयोया ७ सत्तेया होंति दाहिणओ ॥ १ ॥ सीया व १ नारिकांता २ नरकांता चेव ३ रुप्पकूला ४ य । सलिला सुबण्णकूला ५ रत्तवती र ७ उत्तरओ ॥ २ ॥” इति । जम्बूद्वीपाधिकारात् क्षेत्रव्यपदेश्यपुद्गलधर्माधिकाराच्च जम्बूद्वीपसम्बन्धि भरतादिसत्क काललक्षणपर्यायधर्माननेकधाऽष्टादशसूत्र्याऽऽह मूलं [ CC ] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः जंबूदरीवे २ भरवसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदू समाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ फाले होत्या १, एवमिमी से ओसप्पिणीए जाव पन्नत्ते २ एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव भविस्सति ३, जंबूदीवे दीवे भरहेरवसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाई उ उचत्तेनं होत्था ४, दोन्नि य पलिओचमाई परमा पालइत्या ५, एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव पाठविस्था ६, एवमागमेस्लाते उस्सप्पिणीए जाव पालिस्संति ७, जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेस एगसमये एगजुगे दो अरिहंतसा उप्पलिंसु वा उप्पजंति वा उपज्जिस्तंति वा ८, एवं चक्कवट्टिबंसा ९, दसारवंसा १०, जंबूभर हेरवएतु एगसमते दो अरहंता उपसुि वा उपज्वंति वा उप्पजिस्संति वा ११ एवं चक्कवट्टिणो १२, एवं वलदेवा एवं वासुदेवा ( दसारखंसा) जाव उप्पजिंसु वा उपज्जंति वा उपज्जिस्संति वा १३, जंबू० दोसु कुरासु मणुआ सया सुसमयसममुत्त मिडि पत्ता पचणुब्भवमाणा विहरंति, तं० देवकुराए चैव उत्तर १ गंगासिन्धू तथा रोहितांशा रोहिनदी व हरिकान्ता । हरिसडिला शीतोदा सप्ता भवन्ति दक्षिणस्यां ॥१॥ शीता च नारीकान्ता नरकान्ता चैव रु प्यकूला व सलिला सुवर्णकुला रवती रक्ता पोतरस्यां ॥ २ ॥ For Parts Only ~ 154 ~ wor
SR No.004103
Book TitleAagam 03 STHAN Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1059
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size220 MB
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