SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०३) प्रत सूत्रांक [७४] दीप अनुक्रम [७४] श्रीस्थाना ङ्गसूत्र वृत्तिः ।। ५५ ।। "स्थान" अंगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्तिः) उद्देशक [1] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .... -------- - स्थान [२], ..आगमसूत्र [०३ ], अंग सूत्र [०३] Internationa लोकाकाशमिति, विपरीतमलोकाकाशमिति । अनन्तरं लोकालोकभेदेनाकाशद्वैविध्यमुक्तं, लोकश्च शरीरिशरीराणां सर्वत आश्रयस्वरूप इति नारकादिशरीरिदण्डकेन शरीरप्ररूपणायाह रयाणं दो सरीरगा पं० तं - अभंतर चेव बाहिरंगे चेव, अन्यंतरए कम्मए बाहिरए वेडव्विए एवं देवाणं भाणियव्वं, पुढविकाइयाणं दो सरीरगा पं० सं० अभंतरगे चेव बाहिरगे थेव अन्तरगे कम्मर बाहिर ओरालियगे, जाव वणस्सइकाइयाणं, वेइंदियाणं दो सरीरा पं० वं० अभंतरए चैव बाहिरए चैव, अन्नंतरगे कम्मए, अट्ठिमंससोणितबजे बाहिरए ओरालिए, जाव चउरिंदियाणं, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो सरीरगा पं० [सं० अब्भंतरगे चैव वाहिरगे चेब, अब्भंतरगे कम्मए, अट्ठिमंससोणियण्हारुधिराद्धे बाहिरए ओरालिए, मणुस्साणवि एवंचैव । विग्गद्गइसमावन्नगाणं नेरइयाणं दो सरीरगा पं० तं० तेयए चैव कम्मए चेव, निरन्तरं जाव वैमाणियाणं, नेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया, तं० – रागेण चैव दोसेण चैव, जाव वेमाणियाणं, नेरइयाणं दुट्ठाणनिव्वतिए सरीरंगे पं० तं०—-रागनिव्वत्तिए चैव, दोसनिव्वत्तिए चैव, जाव वैमाणियाणं, दो काया पं० तं०--तसकाए चैव थाबरकाए चेव, तसकाए दुबिहे पं० तं भवसिद्धिए चैव अभवसिद्धिए चैत्र, एवं यावर काय नि (सू०७५ ) 'रइयाण' मित्यादि, प्रायः कण्ठ्यं, नवरं शीर्यते-अनुक्षणं चयापचयाभ्यां विनश्यतीति शरीरं तदेव शटनादिधर्मतयाऽनुकम्पितत्वात् शरीरकं ते च द्वे प्रज्ञप्ते जिनैः, अभ्यन्तः- मध्ये भवमाभ्यन्तरं, आभ्यन्तरत्वं च तस्य जीवप्रदेशैः मूलं [७४] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः For Parts Only ~113~ २ स्थान. काध्ययने उद्देशः १ कालाका शशरीराणि ।। ५५ ।।
SR No.004103
Book TitleAagam 03 STHAN Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1059
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size220 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy