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________________ आगम (०२) प्रत सूत्रांक [8] दीप अनुक्रम [६३४] सूत्रकृताङ्गे २ श्रुतस्क न्धे शीलाङ्कीयायां वृत्तो ॥२७०॥ “सूत्रकृत्” - अंगसूत्र-२ ( मूलं + निर्युक्तिः + वृत्तिः) श्रुतस्कंध [२.], अध्ययन [१], उद्देशक [-], मूलं [२], निर्युक्तिः [१५७] पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुछुट्टियं ऊसियं जाव पडिवं । तए से पुरिसे एवं बयासी - अहमंसि पुरिसे खेयने कुसले पंडिते वियत्ते मेहावी अवाले मग्गत्थे मग्गविऊ मग्गस्स गतिपरकमण्णू अमेयं परमवरपोंडरीयं उन्निक्विस्सामित्तिक इति वुया से पुरिसे अभिकमेति तं पुक्खरिणीं, जावं जावं च णं अभिकमेइ तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराप, अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे पढने पुरिसजाए ! ॥ २ ॥ अहावरे दोघे पुरिसजाए, अह पुरिसे दक्खिणाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणि तीसे पुक्खरिणी तीरे ठिचा पासति तं महं एवं पउमवरपोंडरीयं अणुपुच्छुट्टियं पासादीयं जाव परुिवं तं च एत्थ एवं पुरिसजातं पासति पहीणतीरं अपत्तपमवरपोंडरीयं णो हब्वाए णो पाराए अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिसन्नं, तए णं से पुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसे अखेयन्ने अकुसले अपंडिए अवियत्ते अमेहावी वाले णो मरगत्थे णो मरगविऊ णो मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू जनं एस पुरिसे, अहं खेयने कुसले जाव पडमवरपोंडरीयं उन्निक्खिस्सामि, णो य खलु एवं पउमवरपोंडरीयं एवं उन्निक्लेयवं जहा णं एस पुरिसे मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयने कुसले पंडिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गत्थे मग्गfor मग्गस्स गतिपरकमण्णू अहमेयं पउमवरपोंडरीयं उन्निक्खिस्सामित्तिकहु इति वचा से पुरिसे अ भिक्कमेतं पुक्खरिणि, जावं जावं च णं अभिकमेव तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं Education infamational For Fast Use Only मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ...... आगमसूत्र [०२] अंग सूत्र [०२] “सुत्रकृत्” मूलं एवं शिलांकाचार्य कृत् वृत्तिः ~544~ १ पौण्डरीकाध्य० ॥२७०॥ www.janbrary.org
SR No.004102
Book TitleAagam 02 SOOTRAKUT Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages860
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size176 MB
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