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________________ आगम (०२) प्रत सूत्रांक [3] दीप अनुक्रम [६३५] Education intemational “सूत्रकृत्” - अंगसूत्र - २ ( मूलं + निर्युक्तिः + वृत्तिः) श्रुतस्कंध [२.], अध्ययन [१], उद्देशक [-], मूलं [३], निर्युक्ति: [१५७] - अपत्ते उमरपोंडरीयं णो हव्वा णो पाराए अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि जिसने दोघे पुरिसजाने ॥ ३ ॥ अहावरे तचे पुरिसजाते, अह पुरिसे पचत्थिमाओ दिखाओ आगम्म तं क्खरिणिती रिणीए तीरे ठिचा पासति तं एवं महं परमवरपोंडरीयं अणुपुब्बुद्वियं जाब पढिरूवं, ते तत्थ दोन्नि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते पडमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए जाब सेयंसि णिसन्ने, तर णं से पुरिसे एवं बयासी - अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना अकुसला अपंडिया अवियत्ता अमेहाची बाला जो मथाणो मग्गवि णो मग्गस्स गतिपरकमण्णू, जं णं एते पुरिसा एवं मन्ने अम्हे एतं पउमरपोंड रीयं उष्णिक्खिस्सामो, नो य खलु एयं परमवरपोंडरीयं एवं उन्निक्वेतव्यं जहा णं एए पुरिसा मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयने कुसले पंडिए वियते मेहावी अवाले मग्गस्थे मग्गबिऊ मग्गस्स गतिपरकमण्णू अहमेयं पउमवरपोंडरीयं उन्निक्खिस्सामित्तिकट्टु इति बुच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणि जावं जावं चणं अभिकमे तावं तावं च णं महंते उदर महंते सेए जाव अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिसन्ने, तथे पुरिसजाए ॥ (सूत्रं ४) ॥ अहावरे चडत्थे पुरिसजाए, अह पुरिसे उत्तराओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिर्णि, तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं एवं परमवरपोंडरीयं अणुपुब्बुद्वियं जाव पडिवं, ते तस्थ तिनि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते जाव सेयंसि णिसन्ने, तए णं से पुरिसे एवं बयासी - अहो इमे पुरिसा अत्रेयन्ना जाव णो मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू जपणं एते पुरिसा एवं मन्ने अम्हे एवं पउम For Fans Only मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .....आगमसूत्र -[ ०२ ], अंग सूत्र- [ ०२] "सुत्रकृत्” मूलं एवं शिलांकाचार्य कृत् वृत्तिः ~ 545~ Deseseaseseeeee www.ncbrary.org
SR No.004102
Book TitleAagam 02 SOOTRAKUT Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages860
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size176 MB
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