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________________ ५२ देवीदास-विलास १७. मन को मोहित करने वाली विविध रंगों की अड़तालीस करोड़ पताकाएँ फहराती रहती थीं। इस प्रकार कवि ने चक्रवर्ती के उक्त वैभव का वर्णन किया है। (४.क) राग-रागिनियों ___कवि ने विभिन्न राग-रागिनियों में २५ पदों की रचना की है। एतद्विषयक पदों में कवि का उद्देश्य प्राणी को विषय-वासना से हटाकर जिनवर-भक्ति में लीन रखना ही है। ये पद प्रार्थनापरक एवं तथ्य निरूपक हैं। इनमें आत्मशोधन के प्रति पूर्ण जागरूकता के साथ-साथ कल्पना. विचार एवं अनुभूति का ऐसा सुन्दर समन्वय हुआ है कि पाठक भी उसी अनुभूति में लीन हो जाता है। कवि मन की अस्थिरता के वर्णन में मन की उपमा जहाज के पंछी के साथ देते हुए बड़ी ही सुन्दर उद्भावना करता है और बतलाता है कि मन की इसी चंचलता के कारण मानव पीड़ित रहता है। इन वर्णनों में कवि की साहित्यिकता एवं काव्यप्रतिभा अमृत रस उँडेलती सी परिलक्षित होती है। इस रचना की यह विशेषता है कि इसमें दार्शनिक एवं सैद्धान्तिक वर्णनों के होने पर भी उसमें बोझिलता नहीं आ पाई हैं। मार्मिकता एवं रसोद्रेकता तो स्थान-स्थान पर विद्यमान है। उक्त गेयपदों में कवि ने तीर्थंकरों का स्मरण करते हुए उनके गुणों एवं विशेषताओं का वर्णन किया हैं। कवि ने बतलाया हैं कि निर्मल ज्ञानस्वरूपी परमात्मा को हृदय में स्थित करने से शान्ति एवं आत्मतोष का अनुभव होता है। कवि ने सच्चे साधु और गुरु को पहचानकर उनके सद्गुणों और उपदेशों को ग्रहण करने की सलाह दी है। (४.ख) पदपंगति खण्ड कवि ने इसकी रचना पदावली के रूप में की है। इसमें कुल २८ पद्य हैं। उसने विविध शास्त्रीय राग-रागनियों के माध्यम से वैराग्य-भावना को जागृत करने का प्रयत्न किया है। कवि का विचार है कि संसार की अव्यवस्था, संघर्ष, मोह, मत्सर, ईर्ष्या एवं द्वेष आदि की समाप्ति वैराग्य-भावना के द्वारा हो सकती है। जब तक मानव की वैराग्य-भावना जागृत नहीं होगी, तब तक वह इस असार-संसार में भटकता ही रहेगा और जन्म-मरण के चक्रजाल में फँसा रहेगा। अतः उसने सरस पदों के द्वारा वीतरागी-भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति की है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003998
Book TitleDevidas Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavati Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1994
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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