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प्रस्तावना
चक्रवर्त्ती के अन्य वैभव निम्न प्रकार वर्णित हैं—
(ख) १. भयंकर सिंहों के द्वारा धारण की हुई सिंहवाहिनी नामकी मनोज्ञ
शैया ।
२. अनुत्तर आसन नामका मणि जटित उत्कृष्ट आसन ।
३. अनुपमान नामक चमर, जो गंगा की तरलित लहरों के समान निर्मल धवल था ।
४. विद्युत्प्रभ नामके मणिजटित युगल कुण्डल, जो बिजली की दीप्ति को पराजित करते थे ।
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५. अभेद्य नामका कवचं, जिसका भेदन करने में शत्रु के तीक्ष्ण बाण भी असमर्थ रहते थे ।
६. विषमोचिनी नामकी ऐसी दो खड़ाऊँ, जो दूसरे के पैर का स्पर्श होते ही भयंकर विष छोड़ने लगती थीं ।
७. अजितंजय नामका अत्यन्त सुन्दर रथ, जिस पर अनेक दिव्यास्त्र रखे रहते थे, तथा जो जल, थल में एक समान चलता था ।
८. बज्रकोड नामका धनुष, जिसके बाण अमोघ थे।
९. बज्रतुण्डा नामकी शक्ति, जो बज्र की बनी हुई थी एवं इन्द्र को भी जीतने में समर्थ थी ।
१०. सिंघाटक नामका भाला था, जो सिंह के नाखूनों के साथ स्पर्धा करता था। जिसकी रत्नजटित मूठ बहुत ही दैदीप्यमान रहती थी।
११ .. .. लोहवाहिनी नामकी तीक्ष्ण छुरी, जो बिजली की चमक को भी पराजित करने वाली थी ।
१२. मनोवेग नामका एक कणय (अस्त्रविशेष ).
१३. भूतों के मुखों से चिन्हित भूतमुख नामका खेट अर्थात् अस्त्रविशेषं था. जो शत्रुओं के लिए मृत्यु- मुख के समान था ।
१४. आनन्द नामकी बारह भेरियाँ थीं, जिनकी गम्भीर आवाज बारह- योजन तक फैलती थी।
१५. बज्रघोष नामक भीषण गर्जना करने वाले बारह नगाड़े थे । १६. अतिशय आवाज वाले गम्भीरावर्त्त नामके २४ शंख थे।
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