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प्रस्तावना
विश्लेषणों के आधार पर लाल, काला, सफेद, पीला और हरा ये पाँचों रंग अथवा वर्ण अपने आप में मानवीय संस्कृति के प्रतीक माने गए हैं। इन वर्गों का संक्षिप्त विश्लेषण यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है(क) लाल रंग-यह रंग शक्ति और प्रेम का प्रतीक है, साथ ही बहुमुखी प्रतिभा एवं अदम्य साहस और स्फूर्ति का परिचायक भी। सफलता प्राप्त करना ही इस रंग का लक्ष्य है। कवि ने इस रंग के द्वारा तीर्थंकर नेमिनाथ की यौवनावस्था का चित्र अंकित किया है। शरीर का रूप-रंग एवं उस पर धारण किए गए वस्त्राभूषण सभी लाल रंग के हैं, जिनको देखकर करोड़ों कामदेव (प्रेम के देवता) एवं करोड़ों सूर्य (शक्ति के प्रतीक) भी लज्जित हो जाते हैं। कवि ने वैराग्य की भूमिका के रूप में इसका उपयोग किया है, जो पूर्णतया मनोवैज्ञानिक है। (ख) काला रंग- यह रंग दृढ़ता एवं शान्ति का प्रतीक है। इससे गरिमा की प्राप्ति होती है। वैराग्य की अवस्था तक पहुँचने के लिए जितने भी कारण हो सकते हैं, कवि ने उन सबको काले रंग में चित्रित किया है। नेमिनाथ स्वयं काले हैं, जिस नागशैय्या का उन्होंने दलन किया है, वह भी काली है। यहाँ तक कि वैराग्य का कारण बनने वाले पशु, गुफा, गिरनारगली एवं गिरनार-पर्वत सभी काले हैं। उस पर बैठे हुए काले वर्ण वाले नेमिनाथ ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे- गजकुंभ के ऊपर भौंरा क्रीड़ा कर रहा हो। यहाँ पर कवि ने कल्पना की उड़ान के द्वारा सुन्दर भावोत्कर्ष का मोहक एवं सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। (ग) श्वेतरंग-यहरंग निर्मलता, पवित्रता, उत्तरोत्तर वीतराग-अवस्था एवं शान्ति का प्रतीक है। कवि ने नेमिनाथ की वीतराग-अवस्था की उपमा श्वेत-कमल से देते हुए ध्यान, मुक्ति-गली एवं उनके चिन्ह (शंख) को श्वेत बतलाया है और मनभावनी एवं मनको निर्मल बनाने वाली उत्प्रेक्षा की है कि ऐसा प्रतीत होता है, मानों श्वेत कंज पर भौंरा कल्लोलें कर रहा हो।) (घ) पीला रंग- यह रंग नवीनता, आधुनिकता एवं उन्नत प्रगतिशील भविष्य का परिचायक है। सैद्धान्तिक निरूपण एवं ठोस कार्य करना ही इसकी विशेषता है। कवि ने इस रंग का चित्रण तीर्थंकर नेमिनाथ के समवशरण के समय किया है। समवशरण की प्रत्येक वस्तु पीले रंग की है एवं पीली गंधकुटी पर बैठे हुए श्यामवर्ण नेमिनाथ इस प्रकार सुशोभित हो रहे हैं, मानों चम्पाकली पर भौंरा क्रीड़ा कर रहा हो। (क) हरा रंग- यह रंग व्यक्तित्व की स्थिरता, समता, लगनशीलता, तथा नीति, सिद्धान्त एवं संवेदनशीलता को प्रकट करता है। कवि ने संसार का बन्धन कराने
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