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शब्दानुक्रमणिका
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पछारे- पछाड़ना (सप्त. २।३) परिमल- सुगन्ध (पंच. २४।२) पत्र- सोने का पत्तर (वीत. ४।२) परीसा- परीषह (पंच. १५।२) पट्टन- समुद्र या नदी के किनारे का पर्म- परम, श्रेष्ठ (बुद्धि. ६।४)
व्यापारिक स्थान (चक्र. ४।१) पलहति- प्रफुल्लित, हरी-भरी (राग. पट- वस्त्र (तीनमूढ़. १६६१)
९।१०) पटतर- निरवस्त्र; नग्न (बुद्धि. ३४।१) पलास- पलाश वृक्ष (शीतल. ४८) पटतर- समानान्तर (कुंथ. ६४) पलिकियन- झूला (पद. १३।४) पढावनी- पढ़ाने वाली (बुद्धि. ४८।२) पलैन- पलायन (बुद्धि. ४।३) पतंग- शलभ (जीवचतु. १७।२) पवनंजय- पवनञ्जय नामका घोड़ा (चक्र. पताखा- ध्वजा (पंचवरन. ४।२; राग.
३१।१) ४।७) पसराई- फैली हुई (पद. ४८) पद्म- प्रद्मप्रभु तीर्थंकर (पद्म. १) पसिया- पशुयोनि (मारीच. १५७) पद्मद्युति- पद्मद्युति राजा (सुमति. ५५) · पसीजत- द्रवित होना (पद. ४।६) पद्मावती-पद्मावती रानी (पार्श्व. ५) पसुवत- पशु समान (धर्म. ४।१) पय–दूध (वीत. १९।१)
पहिरनहारो- पहिनने वाला (तीन मूढ़. पयास- प्रयास (बुद्धि. ४७।१)
१६।१) पयूस- पीयूष; अमृत (बुद्धि. ४७।१) पहुप- पुष्प (पंच. २४।४) परगासि- प्रकाश (पंच. १।२) पहौंची- पहुँचना(जोग. २४।३) परगाहो- पड़गाहना (राग. १७।१) पाउ- पैर (दरसन. १२।२) परच्यो- परिचय (स्वजोग. ४।१) पाग- पगड़ी (पंच. १।२) । परचै- परिचय (वीत. २५।२) पाठी- पढ़ने वाला (तीनमूढ़. २६।१) परछी- परखी (जिनवन्दना. ३१५) पाठे- पक्कीछत, पठार (बुद्धि. ४०।१) परजाई- पर्याय (धर्म. २।१) पाथरे- पत्थर (सप्त. ७।३) परतेक-प्रत्येक (पुकार. ८।३) पादुका- पादुका रत्न (चक्र. ३९।१) परधंदना-दूसरे के वश में (वीत. ९।३) पापर- पापड़ (श्रेयांस. १३) परधान- प्रधान (जिनवन्दना. १५।६) पारस्यनाथ- पार्श्वनाथ तीर्थंकर (जूववरा) परपंच- प्रपञ्च (धर्म. १८।१) पारस- पार्श्वनाथ (विवेक. २॥२) परमा– एकम की तिथि (अनन्त. ३४) पारिसु- पार्श्वनाथ (जोग. ३।३) परमावगाढ़- परमअवगाढ़ (दसधा. २१५) पास- निकट (दरसन. २४।२). परमोदन- आनन्दित करना (जिनांत. पासि- पास में (पुकार. २०१२)
२६।२) पाहन- पत्थर (बुद्धि. २४।१) परवान-प्रमाण; सीमा (पद. २८) पाहुड- प्राभृत; उपहार (दरसन. ३७।२) पराक्रत- प्राकृत भाषा (द्वादश. ४५) पाहुनी-पाहुनी नामका चाँवल(श्रेयांस. ८)
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