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शब्दानुक्रमणिका
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दरी- घाटी (नेमि. १२)
द्रोनमुख- द्रोणमुख (चक्र. ४।२) दर्व- द्रव्य (परमा. ८।२) ।
धगरे- झगड़ा करे (राग. १०।१) दशांग- दस अंग (पुष्प. २७) धनदत्त- धनदत्त नामका राजा (पार्श्व. ३६) दहै- द्रह; सरोवर (पुकार. २०१३) धरणेन्द्र- धरणेन्द्र नामका देव(पार्व.५) दाग- चला देना (विवेक. १४।२) धरता– धारण करने वाला (शीतल. ३३) दाहत- जलाना (अजित. ९) धरम- धर्म (धर्म. १।१) दिगविजै- दिग्विजय (चक्र. २९।१) धर्मज्ञ- धर्मज्ञ नामका राजा (नमि. २७) दिड-दृढ़ (परमा. १०।१)
धव-धव वृक्ष (पार्श्व. ३५) दिल- हृदय (पद. ३।४)
धसा- धसना (दरसन. २४३) दिलमाज- हृदय के भीतर (पद. १७।१०) धान्ध्यौ- जबर्दस्ती दबाना (जिनवन्दना. दिवाकर- सूर्य (पंच. १७।१)
१८।२) दिवालौ– मन्दिर (नमि. १५) धाम- भवन, घर (धर्म. ४।१) दिष्टांत- दृष्टान्त; उदाहरण (वीत. ३।२) धारनाक्ष- धारनाक्ष राजा (पद्म. ४६) दुकान- दुकान (पद. २७।६) धी- बुद्धि (पंच. २११२) दुखरारा- दुःख की कथा(दरसन. ३१३) धुअ- ध्रुव (बुद्धि. ७।१) दुति- चमक (पंच. १६।१)
धुव- ध्रुव; अटल (पंच. ५।४) दुद्धर- दुर्द्धर; कठिन (दरसन. १७।४) धू-धौव्य (वीत. ११।४) दुर- तिरस्कार करना (पंच. २३।२) धूर- धूलि (विवेक. १४।१) दुरलभ-दुर्लभ; कठिन (जिनांत. ३११) धैन- ध्यान (दसधा. १२१३) दुरवंध- बुराबन्धन (दरसन. ११४) धोक- सिर टेकना (राग.. १८।१०) दुसराइ- प्रतिद्वन्द्विता (पुकार. २३।१) धोखें- धोखा (बुद्धि. २१।३) दूत- धूत; जुआ (सप्त. १।१३) धोबी-कपड़ा धोने वाला(मारीच. १७।३) दृढ़रथ- दृढ़रथ नामका राजा (शीतल. धक-ध्रक- धिक्-धिक् (राग. १३।१)
४३) न्याइ- न्याय (पुकार. २२।२) देउरे- देवला (मन्दिर) (वीत. ९।४) नईठौ– इष्ट न होना (पद. २११४) दैनी दे तो- भाग्य के द्वारा प्राप्त (बुद्धि. नकटी- कटी नाक वाली, अप्रतिष्ठित ३५।४)
(राग. ९।२) दौंची- दबोचना (जोग. २४।४) नग– पर्वत; बहुमूल्य (पंचवरन. ३।२) दौर- समझ में आ जाना (जीवचतु. ९।२) नगीच- पास (पद. ३।६) दौरे- दौड़ना (तीन मूढ़. ९।१). नग्र- नगर (अरह. ४५) द्रग- नेत्र (दसधा. ११२)
नजरि-नजर; दृष्टि (हितो. ११) द्रुमेश्वर- वृक्षेश (वट एवं; पीपल वृक्ष) नटा- नट; नाचनेवाला (बुद्धि. ४९।१)
(नेमि. १२) नदिय- नदी (धर्म. १५।२)
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