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शब्दानुक्रमणिका
३४३ गाँव- गाँव (चक्र. ११२)
गौरा-संगमरमर पत्थर (बुद्धि. ३६।५) गिरवान–झबले या कमीज की कालर ग्रसि- पकड़ लेना (तीनमूढ़ ३४।२)
(पंचवरन. १।५) ग्रामपती- गाँव का मुखिया(पुकार. ४।१) गिल- गलना; मिलना (वीत. १७।३) ग्रेह- गृह; घर (पंच. २५।४) गिला-शिकायत (पद. ५।५) ग्रैवेयक- ग्रैवेयक स्वर्ग (सुपार्श्व. ४७) गिलै- निगलना (सुमति. २८) घट- घड़ा (वीत. ८।४) गुपाल- गोपाल (कवि का भाई) (बुद्धि. घटयहु- घटित होना (दरसन. १९।६)
५५।१) घटा-उमड़े हुए मेघ (वीत. ८।४) गुमाओ-गुमा देना, भुला देना (जिनवन्दना. घटिका- घड़ी (बुद्धि. १९।४)
१४।८) घन- मेघ (वीत. ६।२) गुल्म- गुल्म (नगरी) (पार्श्व. ३६) घालि- फेंकी (बुद्धि. ४५।१) गुह्यक- गुयक नामका यक्ष (महावीर. घीउ- घी (परमा. २३।१)
६३) घुटान- घोंटना (बुद्धि. ४९।१) गूझै- गूंथना; मिलाना (दरसन. २०१४) घूले- घूरा (पद. १३।२) गूते- डूबे हुए; निमग्न (पद. १२१७) घेउ- घी (पद. १६।४) गृह- ग्रह (धर्म. १३।२)
घोकौ- रटना (तीनमूढ़. २८।२) गैन- गमन; स्थानान्तरण (बुद्धि. ४७।३) चउथो- चौथा (चार) (पद्य. ६५) गैर- दूसरा (पद. १।१२)
चंडवेग- चण्डवेग नामका दण्ड (चक्र. गैरी-अत्यन्त सुरभित; गरिमामय (शान्ति.
२५४२) ३८) चंडार– चण्डाल (पंच. २३।३) गैल- गली (बुद्धि. ४१।३) चंडिनि-मंडिनि- चण्डिनी-मण्डिनी नामकी गैहे- पकडना (बुद्धि. ४१।३)
देवियाँ (तीनमूढ़. ८।१) गोत्त- गोत्र (दरसन. ३४।२) । चंदपुरी- चन्द्रपुरी नगरी (चन्द्र. ५४) गोपत- छुपाना (महावीर. २१) चंपापुरि- चम्पापुरी नगरी (वासु. ४५) गोभा- लहर (जिनवन्दना. २१३) चंपौ- चम्पा-फूल (श्रेयांस. १६) गोमुख- गोमुख (यक्ष) (आदि. ६२) चकवा-चकवा पक्षी (अभि. २) गोमेदक- गोमेदक (यक्ष) (नमि. ४९) चक्र- चक्ररत्न (चक्र. २५।१) गोहत- गोहना; पिरोना (बुद्धि. २९।४) चक्री- चक्रवर्ती (चक्र. ४२।२) गौंच- एक प्रकार का जलचर जीव चक्रेश्वरी- चक्रेश्वरी देवी (आदि. ६१)
(जीवचतु. १५।२) चखे- चखना (पंच. १४।३) गौज- मैल; अज्ञान (बुद्धि. २९।३) चग्यौ- आनन्द से पूर्ण (वीत. १९।४) गौतम- गौतम गणधर (दरसन. २३।२) चछु- चक्षु (वीत. १७।४) गौपै-छिपाना (धर्म. १८।२) . चतुराइन– चतुराई पूर्ण (जोग. २२)
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