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देवीदास-विलास खर- गधा (मारीच. १६।३) गजदंत- हाथी का दाँत (धर्म. १०।२) खर्यो- खरा; शुद्ध (पद. २४।७) गढ़ि- गढ़ना; बनाना (पद. २८) खरी- शुद्ध (परमा. २४२) गद- वाणी (परमा. १३।१) खरु- गधा (बुद्धि ४६।२)
गद-गदा (पंच. ३।४) खरौ- खरा; उत्तम (बुद्धि. ४।३) गदूल- गदूल नामका फूल (पार्श्व. ११) खांड- चीनी (श्रेयांस. १८) गन्धोदक- तीर्थंकर के अभिषेक का जल खासी– प्रमुख (अजित. ७)
(देव. १५) खिमंच-खींचना (राग. १११७) गनधर-गणधर (पंच. २१।५) खीस- गुस्सा (विवेक. २१।२) गनिका–वेश्या (राग. १०।६) खुरमा- खुरमा नामका बुन्देली व्यञ्जन गनीजे-गिनना (सुपार्श्व. ५७)
(श्रेयांस. १८) गम- जाना (वीत. १६।४) खुलासी- स्पष्ट (अष्टा. ४२) गरास- ग्रास (संभव. १२) खुशवोह- खुशबू (कुंथ. ३८) गरिष्ट- उत्तम; श्रेष्ठ (पंच. १७।२०; खूजा- खाजा; मठरी (व्यञ्जन) (श्रेयांस.
बुद्धि. ४४।१) १६) गरिहै- गलना (पद. १५१२) खेंच-खींचना (सुपार्श्व. ६७) गरीठो-गरिष्ट, श्रेष्ठ (पद. २०१२) खेट- छोटा नगर (चक्र. ३।१) गरीबनवाज- गरीबों पर दया करने वाले खेट- अस्त्र-विशेष (चक्र. ४३।२)
(पुकार. १०।१) खेवी- खेना; पार उतरना (जीवचतु. गरीस- महान् (चक्र. ४५ ।१)
३०।१) गरुड़- गरुड़ नामका यक्ष (कुंथ. ८८) खेह-धूल (बुद्धि. १।१)
गरै- गला (राग. ८।२) खो-खोजना (परमा. २५।१) गर्भ- गर्भ (पुकार. १४।१) खोपरा- नारियल (सुमति. १९) गर्भु- गर्व (मारीच. ६।८) गंग- गंगा नदी (जोग. १०।१) गलौ- गलना (मल्लि. ६) गंगह- गंगाराम (कवि का भाई) (बुद्धि. गवन- गमन (चक्र. ३८।२)
५५।१) गसावै- ग्रसित करना (पद. ५।७) गंता- जाने वाला (शीलांग. ५।१) गहल- गली (पुकार. २४।४) गंभीरावृत्त-गहरी रेखाएँ (चक्र. ४५।१) गहीर- गम्भीर (बुद्धि. ८।१) ग्यान- ज्ञान (वीत. २१।१) . गान्धारी-गान्धारी नामकी यक्षिणी (विमल. गज- हाथी (चक्र. १६४१) गजकुंभ-विशाल गण्डस्थल वाला हाथी गाभु- गर्व; गौरव (द्वादश. २११२)
__ (पंचवरन. २।४) गारी- गाली; अपशब्द (राग. १३१४) गजत- गर्जना; भटकना (बुद्धि. ५४।२) गारौ– मिलाना; निचोड़ना (मुनि. ८)
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